मुंबई, सात अक्ट्रबर (भाषा) सहकारी बैंकों द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को दिये गये कर्ज पर दो प्रतिशत की दर से दी जाने वाली ब्याज सहायता को 31 मार्च 2021 तक के लिये बढ़ा दिया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को यह जानकारी दी।
योजना की शर्तों में भी बदलाव किया गया है। सरकार ने एमएसएमई के लिये ब्याज सहायता योजना की घोषणा नवंबर 2018 में की थी। इसके तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को 2018- 19 और 2019- 20 दो वित्त वर्ष के दौरान एमएसएमई कर्ज पर ब्याज सहायता की घोषणा की गई थी। इस योजना को वित्त वर्ष 2020- 21 के लिये भी बढ़ा दिया गया है। सहकारी बैंकों को भी 3 मार्च 2020 से योजना के तहत रिण देने वाले पात्र संस्थानों में शामिल कर लिया गया है।
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योजना के दायरे को एक करोड़ रुपये तक के सावधिक रिण और कार्यशील पूंजी तक सीमित रखा गया है। योजना के तहत पात्र एमएसएमई को उनके कर्ज पर सालाना आधार पर दो प्रतिशत की ब्याज राहत दी जाती है। रिजर्व बैंक ने इस संबंध में जारी अधिसूचना में कहा है कि योजना के परिचालन संबंधी कुछ दिशानिर्देशों में सरकार ने फिर से सुधार किया है। योजना की वैधता को 31 मार्च 2021 तक के लिये बढ़ा दिया है।
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रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘‘इसके मुताबिक सहकारी बैंकों ने 3 मार्च 2020 से जो भी नये और पुराने कर्ज में वृद्धि वाले कर्ज दिये हैं अथवा कार्यशील पूंजी उपलब्ध कराई है वह सभी इस योजना के दायरे में आने के लिये पात्र होंगे।’’ इसके साथ ही माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के लिये पात्र इकाईयों के लिये उद्योग आधार नंबर (यूएएन) की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया गया है। जिन इकाइयों को जीएसटी लेने की जरूरत नहीं है वह या तो आयकर स्थायी खाता संख्या (पैन) सौंप सकते हैं अथवा उनके रिण खाते करे संबंधित बैंक द्वारा एमएसएमई खाते के तौर पर वर्गीकृत किया होना चाहिये।