(लक्ष्मी देवी ऐरे)
कुआलालम्पुर, आठ अक्टूबर (भाषा) मलेशिया के बागान और जिंस मंत्री दातुक सेरी जोहारी अब्दुल गनी ने मंगलवार को भारत द्वारा पामतेल आयात शुल्क में हाल ही में की गई बढ़ोतरी को ‘अस्थायी विचलन’ करार देते हुए कहा कि इस तेल की मांग स्थिर बनी हुई है।
गनी ने लड़ाकू विमानों के हस्तांतरण के बदले में पामतेल की आपूर्ति के लिए मलेशिया और भारत के बीच व्यवस्था के बारे में अटकलों को खारिज कर दिया।
भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है, ने 14 सितंबर, 2023 को पामतेल और अन्य खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया, जिससे कच्चे पामतेल पर प्रभावी शुल्क 5.5 प्रतिशत से बढ़कर 12.7 प्रतिशत और रिफाइंड तेलों पर 13.75 प्रतिशत से बढ़कर 35.75 प्रतिशत हो गया।
मलेशिया पाम ऑयल फोरम के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पीटीआई-भाषा के एक सवाल का जवाब देते हुए गनी ने कहा, ‘‘मेरे लिए किसी भी तरह का विचलन अस्थायी है।’’
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा हाल ही में शुल्क नीति में किए गए बदलावों से कोई ‘समस्या’ पैदा नहीं होगी।
मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 1.4 अरब की आबादी वाले भारत में पाम, सूरजमुखी और सोयाबीन तेलों सहित खाद्य तेलों के लिए कई विकल्प हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत के साथ एक अच्छे साझेदार बने रहेंगे और टिकाऊ ढंग से पामतेल की आपूर्ति जारी रखेंगे।’’
मलेशिया ने भारत की घरेलू पामतेल खेती को समर्थन देने की पेशकश की है।
अपनी हालिया भारत यात्रा के दौरान गनी ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की और देश को बीज और तकनीक के साथ मदद की पेशकश की।
मलेशिया अपनी खुद की पामतेल पर निर्भर अर्थव्यवस्था के रहते भारत की पामतेल खेती का समर्थन क्यों करेगा, इस पर गनी ने ‘विशेष’ द्विपक्षीय संबंधों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि मलेशिया चावल, प्याज और चीनी जैसी भारतीय वस्तुओं पर निर्भर है।
मंत्री के अनुसार, इस वर्ष मलेशियाई पामतेल का उत्पादन 1.26 करोड़ टन तक पहुंच गया है और वर्ष 2020 के बाद से अबतक का सबसे अधिक उत्पादन 1.9 करोड़ टन से अधिक होने की उम्मीद है।
संरक्षणवादी व्यापार नीतियों को हल करते हुए गनी ने वैश्विक व्यापार में निष्पक्षता की वकालत की। उन्होंने यूरोपीय आयोग की हाल ही में की गई घोषणा का हवाला दिया, जिसमें अनुमोदन लंबित होने तक 30 दिसंबर, 2025 तक यूरोपीय संघ के वनों की कटाई विनियमन को लागू करने में देरी की बात कही गई है।
अगस्त, 2024 तक मलेशिया के 81.24 प्रतिशत पामतेल बागान, जो 46 लाख हेक्टेयर के बराबर हैं, मलेशिया सस्टेनेबल पाम ऑयल प्रमाणित हैं।
गनी ने कहा कि मलेशियाई पामतेल क्षेत्र को बाजार की गतिशीलता, व्यापार नीतियों और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को बदलने से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मलेशिया का मानना है कि दूसरों पर नियम थोपने के बजाय सार्थक दोतरफा जुड़ाव को बढ़ाना राष्ट्रों के सर्वोत्तम हित में होगा।’’
मलेशियाई पाम ऑयल बोर्ड (एमपीओबी) के आंकड़ों के अनुसार, मलेशिया ने वर्ष 2023 में भारत को 28.4 लाख टन पाम तेल का निर्यात किया, जिससे भारत, मलेशियाई पामतेल के लिए शीर्ष गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखेगा।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
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