भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.5 से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान: डेलॉयट |

भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.5 से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान: डेलॉयट

भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.5 से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान: डेलॉयट

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Modified Date: January 21, 2025 / 05:33 PM IST
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Published Date: January 21, 2025 5:33 pm IST

नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) डेलॉयट इंडिया ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5 से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

डेलॉयट इंडिया ने अपनी आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में मंगलवार को कहा कि देश को वैश्विक अनिश्चितताओं से अलग हटकर अपनी घरेलू क्षमता का उपयोग करने की जरूरत है। साथ ही भारत को उभरते वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप ढलना होगा और सतत वृद्धि के लिए अपनी घरेलू क्षमताओं का इस्तेमाल करना होगा।

वैश्विक तथा घरेलू चुनौतियों के बावजूद, भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में आगे बढ़ रहा है। यह उच्च मूल्य वाले विनिर्माण निर्यातों में बढ़ती हिस्सेदारी से स्पष्ट है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक व मशीनरी एवं उपकरणों के क्षेत्र में।

डेलॉयट इंडिया ने अपने नवीनतम आर्थिक परिदृश्य में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने वार्षिक जीडीपी वृद्धि अनुमान को संशोधित कर 6.5 से 6.8 प्रतिशत कर दिया है, जबकि अगले वित्त वर्ष 2025-26 के लिए इसे 6.7 से 7.3 प्रतिशत पर रखा है।

डेलॉयट इंडिया ने अक्टूबर में अपनी आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष के लिए देश की आर्थिक वृद्धि दर 7 से 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा, ‘‘ पहली तिमाही में चुनाव संबंधी अनिश्चितताओं तथा उसके बाद की तिमाही में मौसम संबंधी व्यवधानों के कारण निर्माण तथा विनिर्माण में मामूली गतिविधि से सकल स्थिर पूंजी निर्माण अपेक्षा से कमजोर रहा। पहली छमाही में सरकार का पूंजीगत व्यय वार्षिक लक्ष्य का मात्र 37.3 प्रतिशत रहा, जो पिछले वर्ष के 49 प्रतिशत से काफी कम है तथा इसमें अपेक्षित गति प्राप्त करने में देरी हो रही है। ’’

डेलॉयट ने अपनी रिपोर्ट में कहा, सरकार खुदरा निवेशकों के बढ़ते महत्व को स्वीकार करती है और आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 में उनकी भागीदारी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। इन उपायों में निवेश प्रक्रियाओं को सरल बनाना, घरेलू बचत को बाजार की अस्थिरता से बचाने के लिए सुरक्षा तंत्र को बढ़ाना और अभियानों तथा प्रोत्साहनों के जरिये वित्तीय समझ को बढ़ावा देना शामिल हो सकता है।

भाषा निहारिका रमण

रमण

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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