नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) देश के अग्रणी बैंक एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में बुधवार को कहा गया कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर लगभग 6.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो 6.4 प्रतिशत के सरकारी अनुमान से थोड़ा कम है।
एक दिन पहले ही राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है। विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन और कमजोर निवेश के कारण वृद्धि दर धीमी होने की बात कही गई।
इसके पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दिसंबर में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रह सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध रिपोर्ट ‘इकोरैप’ के मुताबिक, आरबीआई और एनएसओ के अनुमानों के बीच का अंतर हमेशा ही 0.20-0.30 प्रतिशत की सीमा में रहता आया है। लिहाजा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.4 प्रतिशत का अनुमान अपेक्षित और उचित है।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘हालांकि, हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर नीचे की ओर झुकाव के साथ लगभग 6.3 प्रतिशत रह सकती है।’’
एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा लिखित यह रिपोर्ट कहती है कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि में सुस्ती और मौजूदा कीमतों पर जीडीपी के आकार में बढ़ोतरी लगभग स्थिर रहने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में बाजार मूल्य पर प्रति व्यक्ति जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सकल घरेलू उत्पाद का पहला अग्रिम अनुमान सामान्य रूप से 2024-25 में समग्र मांग में सुस्ती को दर्शाता है।
हालांकि, सकारात्मक योगदान देने वाले घटकों में सरकारी खपत शामिल है, जिसमें मौजूदा कीमतों के संदर्भ में 8.5 प्रतिशत (वास्तविक कीमतों के संदर्भ में 4.1 प्रतिशत) की वृद्धि हुई है। निर्यात ने भी आठ प्रतिशत (वास्तविक कीमतों के संदर्भ में 5.9 प्रतिशत) की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है।
एसबीआई के अध्ययन में कहा गया है कि मांग का चिंताजनक पहलू सकल पूंजी निर्माण में सुस्ती है, जिसमें पूंजी निर्माण में वृद्धि 2.70 प्रतिशत घटकर 7.2 प्रतिशत रह गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘कुल मिलाकर स्थिति यह है कि मांग कमजोर बनी हुई है और वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4 प्रतिशत का आंकड़ा एक बाहरी सीमा है। वास्तविक वृद्धि निश्चित रूप से अनुमानित आंकड़े से कम है।’’
रिपोर्ट कहती है कि नवंबर, 2024 के अंत में राजकोषीय घाटा 8.5 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 52.5 प्रतिशत था। हालांकि, संशोधित जीडीपी आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, यदि बजट अनुमान के अनुरूप कर प्राप्तियां बढ़ीं, कम पूंजीगत व्यय के कारण सरकारी व्यय कम हुआ, तो चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.9 प्रतिशत रहेगा।
हालांकि, यदि सरकार 16.1 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहती है तो संशोधित जीडीपी आंकड़ों के लिहाज से राजकोषीय घाटा पांच प्रतिशत पर रहेगा।
केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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