आरसीईपी से बाहर निकलने का भारत का निर्णय रणनीतिक रूप से सही : जीटीआरआई |

आरसीईपी से बाहर निकलने का भारत का निर्णय रणनीतिक रूप से सही : जीटीआरआई

आरसीईपी से बाहर निकलने का भारत का निर्णय रणनीतिक रूप से सही : जीटीआरआई

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Modified Date: November 8, 2024 / 07:17 PM IST
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Published Date: November 8, 2024 7:17 pm IST

नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) भारत का व्यापार ब्लॉक क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलने का निर्णय रणनीतिक रूप से सही था क्योंकि देश का सबसे बड़ा व्यापार घाटा और विश्वास का मुद्दा चीन के साथ है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने शुक्रवार को यह राय जताई है।

पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 85 अरब डॉलर से अधिक रहा था।

जीटीआरआई ने कहा, “यदि भारत आरसीईपी में शामिल हो जाता, तो स्थिति काफी खराब हो सकती थी, क्योंकि उसे चीन से शून्य-शुल्क आयात का सामना करना पड़ता, जिससे असंतुलन का खतरा बढ़ जाता।”

साल 2019 में भारत ने घोषणा की थी कि वह चीन समर्थित व्यापक मुक्त व्यापार समझौते क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में शामिल नहीं होगा। उस वार्ता में भारत के लंबित मुद्दों और चिंताओं का हल नहीं निकल सका था।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “आरसीईपी से बाहर निकलने का भारत का निर्णय रणनीतिक रूप से सही था, क्योंकि बाद के घटनाक्रमों ने संभावित आर्थिक असंतुलन पर उसकी चिंताओं को आधार दिया है, जो अन्य सदस्य देशों की तुलना में चीन के पक्ष में बढ़ता जा रहा है।”

यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने हाल ही में कहा था कि प्रशांत पारीय साझेदारी के लिए भारत को आरसीईपी और व्यापक और प्रगतिशील समझौते का हिस्सा होना चाहिए।

जीटीआरआई ने कहा है कि भारत के लिए एक बड़ी चिंता आरसीईपी सदस्यों का चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाटा है।

शोध संस्थान ने कहा, “आरसीईपी के बाद यह प्रवृत्ति बेहतर होने के बजाय और भी खराब हो गई है। चीन के साथ आसियान का व्यापार घाटा 2020 में 81.7 अरब डॉलर से बढ़कर 2023 में 135.6 अरब डॉलर हो गया है।”

इसमें कहा गया है कि जापान का घाटा दोगुना हो गया है तथा पहली बार दक्षिण कोरिया को इस वर्ष चीन के साथ व्यापार घाटा होने का अनुमान है।

भारत के पास पहले से ही न्यूजीलैंड और चीन को छोड़कर आरसीईपी के 15 सदस्यों में से 13 के साथ मजबूत मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) हैं।

भाषा अनुराग अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)