राजकोषीय घाटा चार प्रतिशत पर आया तो 24 महीने में भारत की साख में सुधार संभव: एसएंडपी |

राजकोषीय घाटा चार प्रतिशत पर आया तो 24 महीने में भारत की साख में सुधार संभव: एसएंडपी

राजकोषीय घाटा चार प्रतिशत पर आया तो 24 महीने में भारत की साख में सुधार संभव: एसएंडपी

:   Modified Date:  July 3, 2024 / 05:47 PM IST, Published Date : July 3, 2024/5:47 pm IST

नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार अपने वित्त का विवेकपूर्ण प्रबंधन करने और राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चार प्रतिशत तक लाने में सक्षम रही तो अगले 24 महीने में भारत की रेटिंग में सुधार हो सकता है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के निदेशक (सॉवरेन रेटिंग्स) यीफर्न फुआ ने एक बयान में कहा कि रेटिंग में सुधार के लिए सामान्य सरकारी (केन्द्र और राज्य) घाटा जीडीपी के सात प्रतिशत से नीचे आना जरूरी होगा। इसके लिए केन्द्र सरकार को अधिक कदम उठाने होंगे।

फुआ ने कहा, ‘‘यदि केंद्र सरकार राजकोषीय घाटे को जीडीपी के चार प्रतिशत तक लाने में सक्षम हो तो हम अगले 24 महीने बाद उसकी साख को बढ़ाने पर विचार करेंगे।’’

केंद्र सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत पर आ जाएगा, जो 2023-24 में 5.63 प्रतिशत रहा था।

अमेरिकी रेटिंग एजेंसी ने मई में भारत के परिदृश्य को स्थिर से बढ़ाकर सकारात्मक कर दिया था। हालांकि उसने भारत की रेटिंग को ‘बीबीबी-‘ पर बरकरार रखा था।

फुआ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले तीन वर्षों में औसतन आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है जो घरेलू खपत तथा बुनियादी ढांचे में निवेश के कारण संभव हो पाया है। इससे जमीनी स्तर पर वास्तविक अंतर आया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हम मध्यम अवधि में भारत के लिए सात प्रतिशत की वृद्धि की संभावना देखते हैं।’’

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) लुईस कुइज ने कहा कि भारत एशिया क्षेत्र में सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है।

उन्होंने कहा कि एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड-19 वैश्विक महामारी का असर पीछे छूट चुका है और वृद्धि गति पकड़ने की प्रक्रिया में है।

कुइज ने कहा, ‘‘हमने देखा कि वैश्विक महामाारी का असर वृद्धि की रफ्तार पर पड़ा, खासकर भारत जैसे देशों में। भारत खोई हुई जमीन को वापस ले रहा है और चार साल पहले की अपेक्षा अधिक तेजी से वृद्धि कर रहा है।’’

भाषा निहारिका प्रेम

प्रेम

 

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