भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर ऊंची वृद्धि दर के चरण के लिए तैयार : एमपीसी सदस्य |

भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर ऊंची वृद्धि दर के चरण के लिए तैयार : एमपीसी सदस्य

भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर ऊंची वृद्धि दर के चरण के लिए तैयार : एमपीसी सदस्य

:   Modified Date:  June 30, 2024 / 11:53 AM IST, Published Date : June 30, 2024/11:53 am IST

नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य शशांक भिड़े ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था संभावित रूप से स्थिर उच्च वृद्धि के चरण के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि आज देश जिन महत्वपूर्ण जोखिमों का सामना कर रहा है उनको लेकर भी देश की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है।

भिड़े ने पीटीआई-भाषा से कहा कि आमदनी में वृद्धि से घरेलू मांग को समर्थन मिलेगा और पिछले कुछ वर्षों में निवेश व्यय के उच्चस्तर से उत्पादन या आपूर्ति क्षमता में वृद्धि हो रही है जिससे घरेलू आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘वृद्धि की गति और मुद्रास्फीति के रुख से पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था संभावित रूप से स्थिर उच्च वृद्धि के चरण के लिए तैयार है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अर्थव्यवस्था सामने मौजूद महत्वपूर्ण जोखिमों के संदर्भ में भी मजबूत स्थिति में है।’’

बीते वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का आधिकारिक अनुमान 8.2 प्रतिशत है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष के सात प्रतिशत से कहीं अधिक है।

इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

भिड़े ने कहा कि इस साल मानसून की बारिश सामान्य रहने की उम्मीद है, जो वृद्धि के साथ-साथ खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

उन्होंने कहा कि वस्तुओं और सेवाओं की बाहरी मांग बढ़ाने के लिए वैश्विक मांग परिस्थितियों में सुधार जरूरी है। वहीं ऐसे में निवेश को समर्थन के लिए बड़ा पूंजी प्रवाह देखने को मिल रहा है। यह घरेलू मांग के साथ-साथ भारत के निर्यात को लेकर अर्थव्यवस्था की आपूर्ति पक्ष की दक्षता तथा ऊंची वृद्धि की क्षमता को दर्शाता है।

मुद्रास्फीति पर एक सवाल के जवाब में भिड़े ने कहा कि चिंता मुख्य रूप से किसी भी प्रतिकूल मौसम और जलवायु घटना के प्रभाव, अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और हाल की ऊंची मुद्रास्फीति से वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीमी गति के सुधार को लेकर है।

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर हमारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में खाद्य महंगाई ऊंचे स्तर पर है। आगे चलकर कुल मुद्रास्फीति के लिए खाद्य महंगाई में कमी आना महत्वपूर्ण है।

भिड़े ने कहा कि जनवरी-मई, 2024 के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति औसतन आठ प्रतिशत से ऊपर रही है। वहीं इस अवधि में कुल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से नीचे आ गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी हालिया द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर रेपो को लगातार आठवीं बार 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहेगी। मई में खुदरा मुद्रास्फीति 4.75 प्रतिशत के स्तर पर थी।

भाषा अजय अजय

अजय

 

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