नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने सोमवार को कहा कि भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ द्विपक्षीय निवेश संधि में कुछ शर्तों को आसान बनाते हुए पोर्टफोलियो निवेश को जगह दी है और स्थानीय ‘उपचार’ समाप्ति की अवधि को पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया है।
मॉडल निवेश संधि में निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग करने से पहले कम-से-कम पांच साल तक भारतीय कानूनी प्रणाली में विवादों को सुलझाने का प्रयास करना होता है।
लेकिन भारत और यूएई के बीच की निवेश संधि में इस अवधि को घटाकर तीन साल कर दिया गया है। इससे निवेशकों को निवेशक-सरकार विवाद निपटान तक त्वरित पहुंच मिलती है।
भारत-यूएई द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) पर इस साल 13 फरवरी को हस्ताक्षर किए गए थे। यह 31 अगस्त, 2024 को लागू हो गई है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बयान में कहा, ‘‘यह संधि निवेशकों के लिए अधिक अनुकूल है लेकिन यह विवादों को घरेलू स्तर पर निपटाने की भारत की क्षमता को कमजोर करती है। इससे मध्यस्थता में जाने वाले मामलों की संख्या बढ़ सकती है।’’
स्थानीय उपचार समाप्ति का मतलब है कि निवेशकों को पहले मेजबान देश की कानूनी प्रणाली का सहारा लेकर अपने विवादों को हल करने का प्रयास करना चाहिए और ऐसा न हो पाने पर ही वे मामले को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में ले जाएं।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘स्थानीय उपचार समाप्ति अवधि को तीन वर्ष तक लाने से मध्यस्थता कार्यवाही अधिक संख्या में और महंगी हो सकती है।’’
प्रेम अजय
अजय
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