नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) सोलहवें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका और जर्मनी की तरह भारत को भी कुछ क्षेत्रों को छोड़कर चीन से आने वाले निवेश के लिए अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए।
उन्होंने कहा कि विकसित देश किसी विशेष क्षेत्र में चीन से निवेश को स्वीकार कर रहे हैं और भारत भी ऐसे निवेश का स्वागत कर सकता है।
हालांकि, पनगढ़िया ने यह चेतावनी भी दी कि संभावित रूप से ‘गैर-मित्र देशों’ से निवेश को लेकर सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि ये राष्ट्र के हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
पनगढ़िया ने ‘सीआईआई ग्लोबल इकनॉमिक पॉलिसी फोरम 2024’ को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अगर अमेरिका चीन से निवेश ले रहा है, अगर जर्मनी निवेश ले रहा है तो मैं भी उस निवेश के लिए तैयार हूं। जिन क्षेत्रों से आप बाहर रखना चाहते हैं, वे अपेक्षाकृत कम हैं क्योंकि मुझे नहीं लगता कि अन्य देश अधिक क्षेत्रों में चीन के निवेश को प्रतिबंधित करेंगे।’’
आर्थिक समीक्षा 2023-24 में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का दोहन करने के लिए चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने की वकालत की गई थी।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया था कि चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत की भागीदारी बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।
पनगढ़िया ने भारत के लिए अधिक देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) करने का सुझाव देते हुए कहा कि आज इसकी प्रासंगिकता बढ़ गई है क्योंकि कलपुर्जों का निर्माण कई देशों में किया जाता है और उच्च शुल्क उत्पाद की लागत को बढ़ा देते हैं।
उन्होंने एप्पल के आईफोन का उदाहरण देते हुए कहा कि इस फोन का निर्माण 43 देशों में उत्पादित कलपुर्जों को जोड़कर किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने ऑस्ट्रेलिया और कुछ अन्य देशों के साथ पहले ही एफटीए कर लिया है। इससे कंपनियों को एक बड़ा क्षेत्र मिलेगा और प्रक्रियाएं किसी रुकावट के बगैर स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ सकेंगी। इसके लिए मुक्त व्यापार और कम शुल्क और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।’’
इस समय भारत यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, पेरू और ओमान सहित कई देशों के साथ एफटीए के लिए बातचीत कर रहा है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
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