नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए भारत और न्यूजीलैंड को वस्तुओं के लिए बाजार पहुंच के मुद्दे को हल करने, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और संपर्क में सुधार करने की जरूरत है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने यह राय जताई है।
जीटीआरआई ने कहा कि दोनों के देशों के बीच व्यापार फिलहाल सिर्फ डेढ़ अरब डॉलर है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है।
शोध संस्थान ने कहा कि दोनों देशों को पांच साल में आपसी व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए। इसके अलावा ऐसे उत्पादों की पहचान की जानी चाहिए जिनमें तत्काल शुल्क राहत दी जा सकती है। इसके अलावा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों और भारत में रोड शो का आयोजन करने की जरूरत है।
इसने कहा कि न्यूजीलैंड के साथ भारत के प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से घरेलू कंपनियों को सीमित लाभ होगा क्योंकि वे पहले से ही उस बाजार में बड़ी संख्या में वस्तुओं तक शुल्क मुक्त पहुंच का फायदा ले रही हैं।
न्यूजीलैंड का औसत आयात शुल्क भारत के 17.8 प्रतिशत की तुलना में केवल 2.3 प्रतिशत है।
इसके अलावा, न्यूजीलैंड की 58.3 प्रतिशत टैरिफ लाइन (या उत्पाद श्रेणियां) शुल्क मुक्त हैं, जिसका अर्थ है कि भारतीय उत्पादों को न्यूजीलैंड के बाजार में व्यापार समझौते के बिना पहले से ही महत्वपूर्ण पहुंच का लाभ मिल रहा है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत-न्यूजीलैंड सीईसीए (व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता) वार्ता अभी भी रुकी हुई है, लेकिन दोनों देश अपने व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के लिए कदम उठा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘बाजार पहुंच के मुद्दों को संबोधित करके प्रमुख क्षेत्रों (जैसे कृषि, फार्मास्युटिकल्स, आईटी, शिक्षा और पर्यटन) में सहयोग को बढ़ावा देकर और संपर्क में सुधार करके भारत और न्यूजीलैंड अपनी व्यापार क्षमता का दोहन कर सकते हैं और एक अधिक मजबूत आर्थिक साझेदारी बना सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि 2023-24 में 1.54 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार आर्थिक संबंधों में महत्वपूर्ण रूप से कम प्रदर्शन को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भारत का माल निर्यात 53.83 करोड़ डॉलर और न्यूजीलैंड का निर्यात 33.51 करोड़ डॉलर है। दोनों देशों द्वारा अब भी अपनी वास्तविक व्यापार क्षमता का दोहन करना बाकी है। भारत और न्यूजीलैंड ने माल, सेवाओं और निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल, 2010 में सीईसीए पर बातचीत शुरू की थी। हालांकि, नौ दौर की चर्चा के बाद, 2015 में वार्ता ठप हो गई।
शोध संस्थान ने यह भी कहा कि न्यूजीलैंड में भारतीय मूल के 2,50,000 से अधिक लोगों के साथ प्रवासी एक मजबूत सांस्कृतिक संबंध प्रदान करते हैं जिसका उपयोग व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है। जीटीआरआई ने कहा, ‘‘फीस कम करके और तेजी से वीजा मार्ग प्रदान करके न्यूजीलैंड में अध्ययन करने के लिए अधिक भारतीय छात्रों को प्रोत्साहित करना न्यूजीलैंड के शिक्षा क्षेत्र को भी बढ़ावा दे सकता है।’’
उन्होंने कहा कि व्यापार क्षमता के दोहन के लिए कृषि, वानिकी, वित्तीय प्रौद्योगिकी और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। संपर्क में और सुधार करना एक और महत्वपूर्ण कदम है और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें बढ़ाने से व्यापार और पर्यटन दोनों को सुविधा होगी।
भाषा अजय अजय अनुराग
अनुराग
Follow us on your favorite platform:
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)