नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) भारत को पवन और सौर ऊर्जा क्षमता को 600 गीगावाट से अधिक तक बढ़ाने के लिए जलवायु वित्तपोषण बढ़ाने की जरूरत है। मंगलवार को एक अध्ययन में यह कहा गया।
‘क्लाइमेट एनालिटिक्स एंड न्यूक्लाइमेट इंस्टिट्यूट’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी पूंजी जुटाने के लिए अनुदान और रियायती वित्तीय सहायता के प्रावधान सहित अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है, ताकि उभरते और विकासशील देशों को भी समान रूप से नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग का लाभ सुनिश्चित किया जा सके।
अध्ययन में भारत के लिए कहा गया, ‘‘देश ने पवन और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। हालांकि, उसे अपनी पवन और सौर क्षमता को पांच गुना बढ़ाकर 600 गीगावाट से अधिक करने के लिए अधिक अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त की आवश्यकता होगी। इससे वह अपनी बढ़ती मांग को पूरा कर सकेगा और कोयला पर निर्भरता भी कम करने में मदद मिलेगी।’’
एक गीगावाट 1,000 मेगावाट के बराबर होता है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 31 अगस्त, 2024 तक भारत की संचयी पवन ऊर्जा क्षमता 47,192.33 मेगावाट और सौर ऊर्जा क्षमता 89,431.98 मेगावाट है।
भाषा अनुराग अजय
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