भारत ऊंचे शुल्क वाली अर्थव्यवस्था, अमेरिका के साथ मिलकर इसपर काम करने की जरूरत : राजदूत गार्सेटी |

भारत ऊंचे शुल्क वाली अर्थव्यवस्था, अमेरिका के साथ मिलकर इसपर काम करने की जरूरत : राजदूत गार्सेटी

भारत ऊंचे शुल्क वाली अर्थव्यवस्था, अमेरिका के साथ मिलकर इसपर काम करने की जरूरत : राजदूत गार्सेटी

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Modified Date: December 19, 2024 / 09:34 PM IST
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Published Date: December 19, 2024 9:34 pm IST

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत दुनिया में ‘सबसे अधिक शुल्क’ वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका को व्यापार को ‘निष्पक्ष और समान’ बनाने के उद्देश्य से शुल्क कम करने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।

उनकी यह टिप्पणी अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के कुछ दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ‘बहुत अधिक’ शुल्क लगाता है। ट्रंप ने भारत द्वारा कुछ अमेरिकी उत्पादों के आयात पर लगाए जाने वाले शुल्क के जवाब में जवाबी शुल्क लगाने की अपनी मंशा दोहराई थी।

अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गार्सेटी ने कहा कि जैसे-जैसे दोनों देश ‘करीब आते जा रहे हैं’, वे एक-दूसरे के साथ ‘अधिक स्पष्ट’ होने में सहज हो रहे हैं।

भारत में अमेरिका के राजदूत गार्सेटी ने कहा, ‘‘… हमें शुल्क को कम करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए, न कि उन्हें बढ़ते हुए देखना चाहिए। हमें व्यापार को बढ़ाने और इसे अधिक निष्पक्ष और समान बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि प्रशिक्षण और प्रतिभा ऐसी हो जो हिंद-प्रशांत के दोनों ओर की कंपनियों की जरूरतों को पूरा करे।’’

अपने संबोधन के बाद एक संवाद सत्र में गार्सेटी ने बताया कि ‘दोनों पक्षों की कठिनाइयों के बावजूद’ भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार में ‘10 गुना वृद्धि’ देखी गई है, जिसमें अमेरिका, भारत का पहले नंबर का व्यापारिक साझेदार बन गया है।

उन्होंने कहा, “… मुझे लगता है कि जैसा कि आपने सुना है, कल ही, राष्ट्रपति-के रूप में निर्वाचित ट्रंप ने व्यापार के बारे में बात की और शुल्क को निष्पक्ष रूप से कैसे किया जाना चाहिए, हमें ईमानदारी से बातचीत करनी चाहिए। मुझे लगता है कि हमारे लिए स्पष्ट रूप से बोलना मददगार होगा, लेकिन हमें इसे एक शुरुआती बिंदु के रूप में उपयोग करना चाहिए ताकि हम जितना करते हैं उससे कहीं अधिक गहराई से बातचीत कर सकें।”

उन्होंने बताया कि भले ही अमेरिका और भारत वास्तव में व्यापार के बारे में महत्वाकांक्षी तरीके से बात नहीं करते हैं, फिर भी दोनों देशों ने 2001 से व्यापार को दस गुना बढ़ाया है।

गार्सेटी ने अपने श्रोताओं से यह कल्पना करने का आग्रह किया कि अगर दोनों देश वास्तव में बैठकर ये सभी बातचीत करें तो वे क्या हासिल कर सकते हैं।

भाषा अनुराग अजय

अजय

 

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