नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर (भाषा) आयकर विभाग ने प्रक्रिया को सरल बनाकर और शुल्कों को कम करके आयकर कानून के तहत अपराधों के शमन के लिए बृहस्पतिवार को संशोधित दिशानिर्देश जारी किए।
संशोधित दिशानिर्देश अपराधों के शमन (कंपाउंडिंग) के लिए पहले से लंबित और नए आवेदनों पर लागू होंगे।
अपराधों की कंपाउंडिंग का मतलब यह है कि कुछ अपराधों में मामले के अदालत में विचाराधीन रहने के दौरान संबंधित पक्ष समझौता कर सकते हैं। कंपाउंडिंग होने पर मुकदमे में आगे की कार्रवाई बंद कर दी जाती है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि इसने अपराधों के वर्गीकरण को खत्म कर दिया है और आवेदन दाखिल करने की सीमा को भी हटा दिया है।
कंपनियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) द्वारा अपराधों के शमन को सुविधाजनक बनाने के लिए मुख्य आरोपी की तरफ से आवेदन दाखिल करने की शर्त को खत्म कर दिया गया है।
नए दिशानिर्देशों के तहत मुख्य आरोपी और/या किसी भी सह-आरोपी द्वारा प्रासंगिक कंपाउंडिंग शुल्क का भुगतान करने पर मुख्य आरोपी के साथ किसी भी या सभी सह-आरोपियों के अपराधों का शमन किया जा सकता है।
इसमें चक्रवृद्धि शुल्क के भुगतान में देरी पर लगने वाले ब्याज को खत्म कर चक्रवृद्धि शुल्क को भी युक्तिसंगत बनाया गया है। इसके अलावा विभिन्न अपराधों के लिए दरों को कम किया गया है। मसलन, स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) में चूक से संबंधित कई दरों को हटाकर 1.5 प्रतिशत प्रति माह की एकल दर कर दिया गया है।
इसके साथ रिटर्न दाखिल न करने के लिए चक्रवृद्धि शुल्क की गणना के आधार को भी सरल बनाया गया है।
सीबीडीटी ने कहा, ‘‘संशोधित दिशानिर्देश अनुपालन में सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रक्रियाओं के सरलीकरण की दिशा में एक अतिरिक्त कदम है।’’
इन दिशानिर्देशों से जटिलताओं को कम कर, चक्रवृद्धि प्रक्रिया को सरल बनाकर और चक्रवृद्धि शुल्क को कम करके हितधारकों को सुविधा प्रदान करने की उम्मीद है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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