विदेशों में गिरावट के कारण आयातित तेल-तिलहन की कीमतें टूटी |

विदेशों में गिरावट के कारण आयातित तेल-तिलहन की कीमतें टूटी

विदेशों में गिरावट के कारण आयातित तेल-तिलहन की कीमतें टूटी

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Modified Date: March 21, 2025 / 09:47 PM IST
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Published Date: March 21, 2025 9:47 pm IST

नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) मलेशिया और शिकागो एक्सचेंज में गिरावट के कारण देश के तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के थोक दाम गिरकर बंद हुए।

हालांकि कम उपलब्धता के बीच मांग निकलने से मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन के दामों में सुधार रहा जबकि सरसों तेल-तिलहन और बिनौला तेल के थोक दाम पूर्व-स्तर पर बने रहे।

शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट चल रही है जबकि मलेशिया एक्सचेंज में दोपहर 3.30 बजे का कारोबार गिरावट का रुख लिए रहा।

बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में गिरावट की वजह से आयातित तेलों के दाम घटे हैं पर वास्तव में गिरावट के बावजूद पामोलीन का दाम सोयाबीन से 7-8 रुपये किलो अधिक है। इसी वजह से पामोलीन के लिवाल मिलना मुश्किल बना हुआ हैं।

सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज की गिरावट से सोयाबीन तेल के दाम में गिरावट रही। बैंकों के दवाब में पैसों की तंगी का सामना कर रहे आयातकों को ऊंचे दाम पर खरीदे तेल को मौजूदा कम दाम वाले बाजार भाव पर बेचना पड़ रहा है जिससे सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट देखी जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र में सोयाबीन तिलहन की लिवाली कुछ बढ़ने से सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार आया। सोयाबीन तिलहन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,892 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि सोयाबीन के फैक्टरी डिलीवरी का भाव 4,400 रुपये प्रति क्विंटल ही मिलता है। वहीं मंडियों में खुली बिक्री करने वाले किसानों को मंडी शुल्क, मजदूरी जैसे अन्य खर्चो का बोझ उठाने (लगभग 350 रुपये क्विंटल) से लगभग 4,050 रुपये प्रति क्विंटल का ही भाव मिल पाता है।

वास्तव में किसानों को खुले में बिक्री के लिए मंडियों में सोयाबीन का जो दाम मिल रहा है, वह एमएसपी से लगभग 18-19 प्रतिशत कम है। यहीं अगर सरकारी खरीद होती तो किसानों को मंडी शुल्क, वारदाना, मजदूरी जैसे खर्च नहीं उठाने होते।

सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज गिरावट के साथ बंद होने के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में कल के मुकाबले गिरावट देखी गई। मौजूदा गिरावट के बावजूद दाम अभी भी इतने ऊंचे हैं कि इस दाम पर लिवाल ढूंढ़ना मुश्किल है।

सूत्रों ने कहा कि मूंगफली का हाजिर दाम एमएसपी से 14-15 प्रतिशत कमजोर होने की वजह से किसान बाजार में कम ऊपज ला रहे हैं। इस कमजोर आवक रहने और मांग बढ़ने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार आया।

उन्होंने कहा कि सरसों की मांग होने के बावजूद पैसों की दिक्कत की वजह से किसानों को एमएसपी से कम दाम पर सरसों बेचना पड रहा है। उधर, कुछ बड़े तेल पेराई मिलों ने इसके तिलहन के दाम में 50-100 रुपये क्विंटल की वृद्धि की है। इस स्थिति में सरसों तेल-तिलहन यथावत बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि विदेशी तेलों में आई गिरावट का असर बिनौला पर इसलिए नहीं आया कि तेलंगाना में कपास नरमा के दाम में 50-100 रुपये क्विंटल की वृद्धि हुई है। कपास की कम उपलब्धता को देखते हुए मिल वालों ने कपास नरमा के दाम बढ़ाये हैं। जिससे बिनौला तेल के दाम में सुधार दर्ज हुआ। राजस्थान में कुछ स्थानों पर कपास के 7,121-7,521 रुपये क्विंटल के एमएसपी के मुकाबले दाम बढ़कर 7,550-7,600 रुपये क्विंटल हो गए।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,175-6,225 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,725-6,050 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,250-2,550 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,325 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,355-2,455 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,355-2,480 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,825 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,300 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,150-4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 3,850-3,900 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)