नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने बुधवार को कहा कि हाइब्रिड फसल तकनीक, कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों खासकर छोटे किसानों को सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इससे भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने में मदद मिलेगी।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि की हिस्सेदारी वर्ष 1977 के 42 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 में 18 प्रतिशत रहने के बावजूद, यह क्षेत्र समावेशी वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है। इसका कारण देश का 46 प्रतिशत कार्यबल अब भी इस पर निर्भर हैं, जबकि वर्ष 1977 में यह 70 प्रतिशत था।
ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (टीएएएस) द्वारा यहां आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मिश्रा ने कहा, ‘‘विकसित देश बनने के लिए, हमें न केवल आर्थिक वृद्धि की उच्च दर की आवश्यकता है, बल्कि वृद्धि समावेशी और टिकाऊ भी होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वृद्धि को समावेशी और न्यायसंगत बनाने में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है।’’
भारत के कृषि विकास में उल्लेखनीय तेजी आई है। यह वित्त वर्ष 2016-17 से 2022-23 के दौरान पांच प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर पर पहुंच गई है। इसमें पशुधन (5.8 प्रतिशत) और मत्स्य पालन (नौ प्रतिशत) का महत्वपूर्ण योगदान है।
हालांकि, संरचनात्मक चुनौतियां बनी हुई हैं। वित्त वर्ष 2015-16 में छोटे किसानों की संख्या बढ़कर 14.6 करोड़ हो गई है, जिसमें औसत जोत का आकार 1970-71 के 2.8 हेक्टेयर से घटकर 1.08 हेक्टेयर रह गया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सा घटकर सात प्रतिशत रह जाएगा, जबकि अब भी इसमें 27 प्रतिशत कार्यबल को रोजगार मिला हुआ है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘इन संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करने में हाइब्रिड तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।’’ इसमें छोटे किसानों के लिए उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने की क्षमता है।
मिश्रा ने एक बहुआयामी दृष्टिकोण का सुझाव दिया, जिसमें लाभदायक फसलों में हाइब्रिड तकनीक को अपनाना, बागवानी, पशुधन और मत्स्य पालन में विविधीकरण, छोटे किसानों के लिए तकनीक को अपनाना, खाद्यान्न उत्पादन में सतत वृद्धि और गैर-कृषि गतिविधियों का विकास शामिल है।
सब्जियों में हाइब्रिड किस्मों की सफलता खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए छोटे किसानों की आय का समर्थन करने की तकनीक की क्षमता को प्रदर्शित करती है। इससे देश में वित्त वर्ष 2022-23 में 21.3 करोड़ टन उत्पादन हासिल करने में मदद मिली।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें तकनीक अपनाने और फसल विविधीकरण के माध्यम से छोटे किसानों की स्थिति में सुधार करने की आवश्यकता है। हाइब्रिड तकनीक के सफल कार्यान्वयन से ग्रामीण-शहरी आय के बढ़ते अंतर को पाटने में मदद मिल सकती है।’’
टीएएएस के अध्यक्ष आर एस परोदा, आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक, भारतीय बीज उद्योग महासंघ के अध्यक्ष अजय राणा, इक्रीसैट के महानिदेशक स्टैंडफोर्ड ब्लेड तीन दिवसीय कार्यक्रम में मौजूद थे।
भाषा राजेश राजेश अजय रमण
रमण
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