दुबई, 18 सितंबर (भाषा) रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने कहा है कि पश्चिम एशिया में भारतीय आभूषण निर्यातकों के लिए उभरते अवसर दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि सऊदी अरब और कुवैत जैसे देशों में जड़े हुए सोने के आभूषणों की मांग बढ़ रही है।
जीजेईपीसी ने दावा किया कि हाल के आंकड़ों से एक सकारात्मक रुझान का पता चला है, जो भारत के रत्न और आभूषणों के पारंपरिक गढ़ जैसे अमेरिका और चीन के इतर क्षेत्रों में पर्याप्त वृद्धि को दर्शाता है।
मंगलवार को यहां जारी बयान में जीजेईपीसी ने कहा कि पश्चिम एशिया में उभरते हुए अवसर हैं, सऊदी अरब (26.05 प्रतिशत से अधिक) और कुवैत (87.99 प्रतिशत से अधिक) जैसे देशों में जड़े हुए सोने के आभूषणों की मांग बढ़ रही है।
इसमें कहा गया, ‘‘सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और मलेशिया, विशेष रूप से, हाल के दिनों में तीन इंडिया इंटरनेशनल ज्वेलरी शो (आईआईजेएस) कार्यक्रमों – प्रीमियर, सिग्नेचर और तृतीया – में भाग लेने वाले इन देशों के खरीदारों की बढ़ती संख्या के कारण निर्यात में वृद्धि देखी गई है।
बयान में कहा गया, ‘‘भारतीय आभूषणों के उत्पाद इन बाजारों की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त है, जो निर्यात में वृद्धि में योगदान देता है।’’
ये बाजार अपेक्षाकृत कम खंगाले गए हैं और भारतीय निर्यातकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
जीजेईपीसी के चेयरमैन विपुल शाह ने बयान में कहा, ‘‘जैसे-जैसे हम नए क्षेत्रों में कदम रख रहे हैं, जड़े हुए आभूषणों के उत्पादन की श्रम-गहन प्रकृति ने समझदार वैश्विक ग्राहकों की परिष्कृत मांगों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’
उनके अनुसार, यह न केवल भारत की निर्यात क्षमताओं को बढ़ाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय आभूषण शिल्प कौशल की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाता है।
जीजेईपीसी ने कहा कि वह भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) और भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) जैसी विदेश व्यापार नीति पर भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है और लक्षित पहल के माध्यम से नए बाजारों में प्रवेश करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रहा है।
भाषा राजेश राजेश अजय
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