जीईएम पोर्टल पर विक्रेताओं, सेवा प्रदाताओं के लेनदेन शुल्क में बड़ी कटौती |

जीईएम पोर्टल पर विक्रेताओं, सेवा प्रदाताओं के लेनदेन शुल्क में बड़ी कटौती

जीईएम पोर्टल पर विक्रेताओं, सेवा प्रदाताओं के लेनदेन शुल्क में बड़ी कटौती

:   Modified Date:  September 20, 2024 / 03:32 PM IST, Published Date : September 20, 2024/3:32 pm IST

नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) सार्वजनिक खरीद के ऑनलाइन मंच ‘जीईएम’ ने अपने पोर्टल पर विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं पर लगाए जाने वाले लेनदेन शुल्क में बड़ी कटौती कर दी है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

जीईएम के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अजीत बी चव्हाण ने यहां संवाददाताओं से कहा कि लेनदेन शुल्क में कटौती का यह ‘साहसिक’ कदम केंद्र सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों की पहल का हिस्सा है।

उन्होंने कहा, ‘कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने और अधिक समावेशी अर्थव्यवस्था बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता के साथ तालमेल बिठाते हुए जीईएम ने हाल ही में अपने मंच पर लेनदेन करने वाले विक्रेताओं, सेवा प्रदाताओं पर लगाए जाने वाले लेनदेन शुल्क में उल्लेखनीय कटौती की घोषणा की है।’

जीईएम ने नौ अगस्त से पोर्टल की नई राजस्व नीति को प्रभावी कर दिया है। इस नीति के अनुसार, 10 लाख रुपये तक के सभी ऑर्डर पर अब शून्य लेनदेन शुल्क लगेगा, जबकि पहले इसकी सीमा पांच लाख रुपये थी।

चव्हाण ने कहा, ’10 लाख रुपये से 10 करोड़ रुपये तक के ऑर्डर पर कुल ऑर्डर मूल्य का 0.30 प्रतिशत लेनदेन शुल्क लगाया जाएगा, जबकि पहले यह शुल्क 0.45 प्रतिशत था।’

उन्होंने कहा कि 10 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर पर अब तीन लाख रुपये का एकसमान शुल्क देना होगा, जो पहले 72.5 लाख रुपये तक के लेनदेन शुल्क से काफी कम है।

उन्होंने कहा कि नए बदलावों के बाद जीईएम पोर्टल पर लगभग 97 प्रतिशत लेनदेन पर कोई लेनदेन शुल्क नहीं लगेगा जबकि शेष पर 10 लाख रुपये से अधिक के ऑर्डर मूल्य का 0.30 प्रतिशत शुल्क लगेगा और वह भी अधिकतम तीन लाख रुपये तक होगा।

उन्होंने कहा कि नवीनतम लेनदेन शुल्क संरचना का उद्देश्य सार्वजनिक खरीद पारिस्थितिकी तक विक्रेताओं एवं सेवा प्रदाताओं की पहुंच को लोकतांत्रिक बनाना है। खासकर इससे छोटी एवं मझोली इकाइयों को फायदा होने की उम्मीद है।

जीईएम एक एकीकृत डिजिटल मंच है जो विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों के विभागों, सार्वजनिक उद्यमों, स्वायत्त निकायों, पंचायतों, राज्य सहकारी समितियों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की सुविधा देता है। इसकी शुरुआत वर्ष 2016 में की गई थी।

भाषा प्रेम प्रेम अनुराग

अनुराग

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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