जीएसटी परिषद के संशोधनों को वित्त विधेयक में शामिल किया जाएगाः सीबीआईसी प्रमुख |

जीएसटी परिषद के संशोधनों को वित्त विधेयक में शामिल किया जाएगाः सीबीआईसी प्रमुख

जीएसटी परिषद के संशोधनों को वित्त विधेयक में शामिल किया जाएगाः सीबीआईसी प्रमुख

:   Modified Date:  July 3, 2024 / 06:58 PM IST, Published Date : July 3, 2024/6:58 pm IST

नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा-शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि पिछले महीने जीएसटी परिषद की बैठक में लिए गए निर्णयों को इस महीने के अंत में बजट के साथ संसद में पेश किए जाने वाले वित्त विधेयक में जगह दी जाएगी।

अग्रवाल ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पर एनएसीआईएन-भोपाल के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक में कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर दर को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव रखा गया था, जबकि कुछ मामलों में स्पष्टीकरण जारी किए गए हैं।

अग्रवाल ने कहा, ‘जीएसटी प्रणाली लागू होते समय पैदा हुए विवादों के समाधान और निपटान के लिए छोटे कारोबारों के सामने आने वाली चुनौतियों के संदर्भ में कई निर्णय लिए गए हैं। इन्हें वित्त विधेयक का हिस्सा बनाया जा सकता है ताकि जीएसटी अधिनियम में जरूरी बदलाव किए जा सकें।’

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट इस महीने लोकसभा में पेश किया जाना है। बजट में प्रस्तावित प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में बदलावों को विस्तार से शामिल करते हुए बजटीय प्रक्रिया के हिस्से के रूप में वित्त विधेयक, 2024 पेश किया जाएगा।

केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद की बैठक 22 जून को हुई थी। परिषद ने केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) अधिनियम में एक नई धारा 11ए जोड़ने के लिए कानून में संशोधन को मंजूरी दी थी, ताकि सरकार को जीएसटी की वसूली नहीं होने या कम वसूली को नियमित करने की शक्ति दी जा सके।

जीएसटी परिषद ने सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 112 में संशोधन की भी सिफारिश की, ताकि अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करने के लिए तीन महीने की अवधि की अनुमति दी जा सके। इससे करदाताओं को लंबित मामलों में अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील करने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।

करदाताओं के अनुकूल कदम उठाते हुए जीएसटी परिषद ने 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के लिए सीजीएसटी अधिनियम की धारा 73 के तहत जारी नोटिस के लिए ब्याज और जुर्माना माफ करने का भी फैसला किया, बशर्ते मांगे गए पूरे कर का भुगतान 31 मार्च, 2025 तक कर दिया जाए।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

 

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