नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा)सरकार ने मार्च, 2031 तक ऋण-जीडीपी अनुपात को मौजूदा के 57.1 प्रतिशत से घटाकर लगभग 50 प्रतिशत करने के लिए एक नए मसौदे की घोषणा की है।
सरकार राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून के तहत तय राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में प्रस्ताव रखा कि राजकोषीय घाटे को कम करके वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी के 4.4 प्रतिशत पर लाया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में इसके 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
एफआरबीएम कानून 2003 के तहत सरकार को वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से कम करना है।
अगले पांच वर्षों के लिए नए मसौदे के अनुसार, सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक ऋण-जीडीपी अनुपात को लगभग 56 प्रतिशत तक लाना है।
सरकार वित्त वर्ष 2026-27 से वित्त वर्ष 2030-31 तक राजकोषीय घाटे को इस तरह बनाए रखने की कोशिश करेगी कि केंद्र का ऋण-जीडीपी अनुपात 31 मार्च, 2031 तक लगभग 50 प्रतिशत के करीब हो। सीतारमण ने लोकसभा में बजट पेश करने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘आगे का रास्ता बहुत साफ है। ऋण-जीडीपी अनुपात लगातार घटेगा, जो इस बात पर निर्भर करेगा कि कितनी वृद्धि दर, प्रोत्साहन उपायों या आगे समेकन उपायों की जरूरत होगी।’’
भाषा पाण्डेय अजय
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