नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) सरकार ने कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आई गिरावट के बीच घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल और विमानन ईंधन (एटीएफ), डीजल एवं पेट्रोल के निर्यात पर 30 महीने पुराना अप्रत्याशित लाभ कर सोमवार को खत्म कर दिया।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्य सभा में इस आशय की एक अधिसूचना पेश की। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा किए गए ईंधन के निर्यात पर लगने वाले शुल्क को खत्म कर दिया गया है।
अधिसूचना ने इस कर का प्रावधान करने वाले 30 जून, 2022 के आदेश को रद्द कर दिया है। इस आदेश में कच्चे तेल के घरेलू उत्पादन और विमानन ईंधन, डीजल और पेट्रोल के निर्यात पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाया गया था।
इसके साथ ही पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर लगाया गया सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर (आरआईसी) भी वापस ले लिया गया है।
सरकार ने पहली बार एक जुलाई, 2022 को अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था। इस तरह वह उन देशों में शामिल हो गया था जो पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाले असाधारण लाभ पर कर लगाते हैं।
उस समय पेट्रोल और एटीएफ पर छह रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर का निर्यात शुल्क लगाया गया था। इसके साथ घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन का अप्रत्याशित लाभ कर भी लगाया गया था।
सरकार ने यह कर लगाने के पहले वर्ष में शुल्क से लगभग 25,000 करोड़ रुपये, 2023-24 में 13,000 करोड़ रुपये और चालू वित्त वर्ष में 6,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।
इस कर प्रावधान की हर पखवाड़े समीक्षा कर सरकार दरों में संशोधन करती थी। लेकिन अब घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल और ईंधन निर्यात दोनों पर ही शुल्क समाप्त कर दिया गया है।
कर को खत्म करने का फैसला अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में नरमी के बाद लिया गया है। भारत द्वारा आयात किए जाने वाले कच्चे तेल का औसत मूल्य नवंबर में 73.02 डॉलर प्रति बैरल था, जो अक्टूबर के 75.12 डॉलर प्रति बैरल से कम है। इस साल अप्रैल में औसत आयात मूल्य लगभग 90 डॉलर प्रति बैरल था।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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