नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों में 30,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की योजना को समाप्त कर दिया है।
यह फैसला 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में पेट्रोलियम कंपनियों को हुए रिकॉर्ड मुनाफे के बाद लिया गया है।
सीतारमण ने पिछले साल एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल 2023 से मार्च 2024) के लिए वार्षिक बजट पेश करते हुए इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) में 30,000 करोड़ रुपये की पूंजी (इक्विटी) डालने की घोषणा की थी, ताकि सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों कंपनियों की ऊर्जा बदलाव की योजनाओं का समर्थन किया जा सके।
इसके साथ ही उन्होंने कर्नाटक के मैंगलोर और आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में रणनीतिक भूमिगत भंडारणों को भरने के लिए कच्चा तेल खरीदने हेतु 5,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भी रखा था। भारत ने इन भंडारण को किसी भी आपूर्ति व्यवधान से बचने के लिए बनाया है।
वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में दोनों योजनाओं को समाप्त कर दिया गया है।
बजट दस्तावेजों में 2024-25 में तीन पेट्रोलियम विपणन कंपनियों (ओएमसी) को पूंजी सहायता के लिए शून्य आवंटन दिखाया गया है, जबकि 2023-24 के बजट में 30,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इस साल फरवरी में अंतरिम बजट में इस प्रविष्टि के मुकाबले 15,000 करोड़ रुपये की राशि दिखाई गई थी। आज पेश किए गए पूर्ण बजट में संशोधित आवंटन में 2023-24 के लिए व्यय के रूप में 0.01 करोड़ रुपये और 2024-25 के बजट प्रावधान में शून्य दिखाया गया है।
भाषा निहारिका अजय
अजय
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