(राधा रमण मिश्रा)
नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) केंद्र सरकार के प्रस्तावित बजट से पहले अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सरकार बजट में महिलाओं की सहायता के लिए नकद अंतरण की केंद्रीय योजना लाने पर विचार कर सकती है। साथ ही अर्थव्यवस्था को गति देने और खपत बढ़ाने के लिए चाहे वह प्रत्यक्ष कर हो या फिर अप्रत्यक्ष कर, करों में कटौती पर गौर कर सकती है।
अर्थशास्त्रियों का यह भी कहना है कि ऊर्जा बदलाव और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित कृषि और तटीय गतिविधियों जैसे क्षेत्रों लिए एक नई सब्सिडी व्यवस्था की आवश्यकता है, जिसपर बजट में ध्यान दिया जा सकता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के लिए एक फरवरी को बजट पेश करेंगी। यह उनका लगतार आठवां और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट होगा।
बजट में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर अर्थशास्त्री और मद्रास स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बजट में महिलाओं की सहायता के लिए नकद अंतरण की केंद्रीय योजना लाने पर विचार किया जा सकता है। इसका कारण हमने अध्ययन में पाया है कि इससे वास्तव में परिवार को खासकर पोषण के मामले में ज्यादा लाभ मिल रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इसे इस रूप से शुरू किया जाए जिससे राजकोष पर कोई पर बोझ न पड़े। इसके लिए, हमें महिलाओं से संबंधित अन्य मिलती-जुलती योजनाओं पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है।’’
इस बारे में अर्थशास्त्री एवं शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से महिलाओं को नकद अंतरण एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल है और इसे शुरू किया जा सकता है। इसका कारण यह पाया गया है कि महिलाओं को नकद हस्तांतरण योजना के परिणाम कुपोषण दूर करने, आत्मसम्मान जैसे लाभों के साथ कई अन्य योजनाओं के मुकाबले बेहतर हैं।’’
उल्लेखनीय है कि दिल्ली मे हो रहे विधानसभा चुनाव में सभी प्रमुख दलों ने महिलाओं को नकद राशि दिये जाने की घोषणा की हैं। इससे पहले, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी इस प्रकार की घोषणाएं देखने को मिली थीं।
इस संबंध में राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) में प्रोफेसर और म्यूनिख स्थित इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस की संचालन प्रबंधन मंडल की सदस्य लेखा चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘महिलाओं के हाथों में नकद हस्तांतरण एक अच्छा कदम हो सकता है, लेकिन यह आजीविका संकट से निपटने के लिए अल्पकालिक उपाय है। महिलाओं को रोजगार और कर्ज वितरण सुनिश्चित करना उन्हें लंबे समय में मदद कर सकता है।’’
किसान सम्मान निधि के तहत राशि बढ़ाये जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘किसान सम्मान निधि से पूर्व में लाभ देखने को मिला है। इससे… वास्तव में छोटे और सीमांत किसानों को अधिक बढ़ावा मिला है।’’
चतुर्वेदी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) निदेशक मंडल के सदस्य भी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, सरकार इसे कृषि से जुड़ी विनिर्मित वस्तुओं की खरीद से जोड़ सकती है ताकि कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण बढ़े। इसलिए 6,000 रुपये नकद देने के बजाय, उन्हें ज्यादा राशि दी जा सकती है ताकि वे कृषि के लिए उपयोगी छोटे उपकरण खरीद सकें। इससे विनिर्माण के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।’’
इस बारे में भानुमर्ति ने कहा, ‘‘हालांकि, किसान सम्मान निधि एक सार्वभौमिक योजना है। इसका लाभ बड़े किसानों को भी मिल रहा है। ऐसे में इसपर अध्ययन कराये जाने की जरूरत है ताकि जिन्हें जरूरत है, उन्हें लाभ मिले और अध्ययन के बाद ही इस मद में दी जाने वाली राशि बढ़ाने या घटाने पर विचार किया जाना चाहिए।’’
लेखा चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण में वृद्धि की आवश्यकता है। लक्षित नकद हस्तांतरण कृषि क्षेत्र में समस्याओं को हल करने के लिए केवल अस्थायी समाधान हो सकता है। इसके साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देखते हुए कृषि क्षेत्र में काम करने की जरूरत है।’’
बजट में कर के मोर्चे पर राहत के बारे में पूछे जाने पर भानुमूर्ति ने कहा, ‘‘वित्त मंत्री क्या करेंगी, इस बारे में मैं अनुमान नहीं लगाया जा सकता। हालांकि यह सही है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कर का बोझ कम किया जा सकता है। चाहे वह अप्रत्यक्ष कर हो या प्रत्यक्ष कर। वैसे मेरा मानना है कि अप्रत्यक्ष कर (जीएसटी) में कटौती ज्यादा जरूरी है क्योंकि इसका प्रभाव सभी पर पड़ेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ आप जानते हैं, आयकर छह से सात प्रतिशत लोग देते हैं। इसलिए, अगर आप प्रत्यक्ष कर में कटौती करते हैं तो आप केवल छह से सात प्रतिशत लोगों को ही लाभ पहुंचा रहे हैं…मेरे हिसाब से जीएसटी अर्थव्यवस्था में खपत के मुद्दे से निटपने का एक बेहतर तरीका है।’’
इस बारे में चतुर्वेदी ने भी कहा, ‘‘ आयकर में कटौती का किसी को कोई खास लाभ नहीं मिलेगा। शुल्क दरों में कमी और जीएसटी को तर्कसंगत बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है।’’
चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘ कर दरों में कटौती से लोगों के हाथ में खर्च योग्य आय बढ़ सकती है, जिससे मांग को बढ़ावा मिलेगा। मुझे उम्मीद है कि इस बजट में कर राहत की कोई घोषणा की जाएगी।’’
एक अन्य सवाल के जवाब में चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘भारत ने चुनावी वर्षों में भी राजकोषीय समझदारी का परिचय दिया है, इसलिए घाटा कोई बड़ी चिंता का विषय नहीं है। हालांकि, ऊर्जा बदलाव और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित कृषि तथा तटीय गतिविधियों जैसे क्षेत्रों लिए एक नई सब्सिडी व्यवस्था की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अधिक ऊर्जा दक्षता की आवश्यकता है। भारत समान मात्रा में उत्पादन के लिए अपने समकक्ष देशों की तुलना में 2.5 गुना अधिक ऊर्जा खर्च करता है। हमारी कंपनियों को इस बदलाव को हासिल करने में सक्षम बनाने के लिए नई बजटीय योजनाओं की आवश्यकता है।’’
भाषा रमण निहारिका
निहारिका
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