(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 27 जनवरी (भाषा) सरकार ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन प्रमुख माधबी पुरी बुच के उत्तराधिकारी की तलाश की प्रक्रिया सोमवार को शुरू कर दी। बुच कथित हितों के टकराव को लेकर पिछले कुछ समय से चर्चा में रही हैं।
बुच का तीन साल का कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हो रहा है। बुच इसी महीने 60 वर्ष की हो जाएंगी।
वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार, नियुक्ति पांच साल या उम्मीदवार की आयु 65 वर्ष होने तक के लिए होगी। आवेदन दाखिल करने की अंतिम तारीख 17 फरवरी है।
विज्ञापन में कहा गया, ‘‘ चेयरपर्सन ऐसा व्यक्ति होना चाहिए, जिसका कोई ऐसा वित्तीय या अन्य हित न हो, जिससे उसके पद पर रहते हुए उसके कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका हो।’’
सरकार ने पिछली बार भी इसी तरह प्रावधान रखा था, जब अक्टूबर, 2021 में सेबी प्रमुख के पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे।
सोमवार को जारी विज्ञापन के अनुसार, उम्मीदवार के पास ‘‘ उच्च निष्ठा, प्रतिष्ठा तथा 50 वर्ष से अधिक का अनुभव और 25 वर्ष से अधिक का पेशेवर अनुभव होना चाहिए।’’
इसमें कहा गया, उम्मीदवार के पास ‘‘ प्रतिभूति बाजार से संबंधित समस्याओं से निपटने की क्षमता होनी चाहिए या कानून, वित्त, अर्थशास्त्र, लेखाशास्त्र का विशेष ज्ञान या अनुभव होना चाहिए जो केंद्र सरकार की राय में बोर्ड के लिए उपयोगी होगा।’’
इस बार चयन प्रक्रिया वर्तमान प्रमुख के कार्यकाल की समाप्ति से मात्र एक महीने पहले शुरू की गई है, जबकि पिछली बार यह चार महीने पहले शुरू की गई थी।
सेबी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बुच ने दो मार्च, 2022 को तीन साल की अवधि के लिए पदभार संभाला था। वह अप्रैल, 2017 से एक मार्च, 2022 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य भी रहीं।
हालांकि, बुच ने अपने कार्यकाल में इक्विटी के तेजी से निपटान, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) खुलासे में वृद्धि तथा म्यूचुअल फंड पैठ बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की, लेकिन उनके कार्यकाल के अंतिम वर्ष में काफी विवाद हुआ जब सेबी के कर्मचारियों ने ‘‘कामकाज के गलत तरीकों’’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। साथ ही अमेरिका की शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग तथा विपक्षी दल कांग्रेस ने भी उनपर कई आरोप लगाए थे।
हालांकि, हिंडनबर्ग ने अपना कारोबार समेटने की इस महीने ही घोषणा की है।
बुच पर पिछले वर्ष अगस्त में इस्तीफा देने का दबाव था, जब हिंडनबर्ग ने उन पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था, जिससे अदाणी समूह में हेरफेर और धोखाधड़ी के दावों की गहन जांच नहीं हो सकी।
हिंडनबर्ग ने बुच और उनके पति धवल बुच पर विदेशी संस्थाओं में निवेश करने का आरोप लगाया, जो कथित तौर पर एक कोष संरचना का हिस्सा थे जिसमें अदाणी समूह के संस्थापक चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी ने भी निवेश किया था।
बुच ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि ये निवेश उनके नियामक का प्रमुख बनने से पहले किए गए थे और उन्होंने खुलासे के लिए सभी आवश्यक नियमों का पालन किया था।
सरकार ने हालांकि अपनी ओर से सार्वजनिक रूप से यह नहीं बताया कि क्या उसने बुच से स्पष्टीकरण मांगा था या नहीं।
विज्ञापन में कहा गया, नए सेबी प्रमुख को भारत सरकार के सचिव के बराबर वेतन मिलेगा, जो 5,62,500 रुपये प्रति माह (मकान और कार के बिना) होगा।
इसमें कहा गया, सरकार वित्तीय क्षेत्र नियामक नियुक्ति खोज समिति (एफएसआरएएससी) की सिफारिश पर सेबी प्रमुख की नियुक्ति करेगी। समिति योग्यता के आधार पर किसी अन्य व्यक्ति की भी सिफारिश करने के लिए स्वतंत्र है, जिसने पद के लिए आवेदन नहीं किया है।
नियामकों की नियुक्ति की प्रक्रिया के अनुसार, उम्मीदवार का चयन मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता वाली एफएसआरएएससी द्वारा किया जाता है।
सेबी अधिनियम के अनुसार, सेबी प्रमुख की नियुक्ति अधिकतम पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) के लिए की जाती है। कई बार सरकार शुरू में सेबी प्रमुख की नियुक्ति तीन साल के लिए करती है। हालांकि, कार्यकाल को दो वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
भाषा निहारिका अजय
अजय
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)