नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को आपूर्ति वर्ष 2024-25 के लिए सी श्रेणी के शीरा से प्राप्त एथनॉल की कीमत (एक्स-मिल) 1.69 रुपये बढ़ाकर 57.97 रुपये प्रति लीटर करने को मंजूरी दे दी।
एथनॉल का आपूर्ति वर्ष एक नवंबर से 31 अक्टूबर तक चलता है।
चीनी उद्योग के उप-उत्पादों से एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मूल्य वृद्धि ऐसे समय में की गई है, जब भारत 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रयास कर रहा है। पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य पहले 2030 तक था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने बुधवार को बैठक में यह निर्णय लेने के बाद कहा कि बी श्रेणी के भारी शीरा और गन्ना रस/चीनी/शीरा से उत्पादित एथनॉल की कीमतें क्रमशः 60.73 रुपये प्रति लीटर और 65.61 रुपये प्रति लीटर पर यथावत रखी गईं।
बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अन्य गन्ना उत्पादों की तुलना में सी श्रेणी के शीरा में बहुत कम चीनी सामग्री होती है।
उन्होंने कहा, “जितना अधिक हम एथनॉल उत्पादन के लिए सी श्रेणी के शीरा को बढ़ावा देंगे, यह किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद होगा।”
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) सरकार के एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत चालू आपूर्ति वर्ष 2024-25 (नवंबर-अक्टूबर) के दौरान संशोधित दरों पर एथनॉल की खरीद करेंगी।
सरकार ने एक बयान में कहा कि सी श्रेणी के भारी शीरा एथनॉल की कीमत में तीन प्रतिशत की वृद्धि का उद्देश्य बढ़े हुए मिश्रण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
पिछले वर्षों की तरह, गन्ना किसानों को सहायता देने के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और परिवहन शुल्क का भुगतान अलग से किया जाएगा।
मूल्य समायोजन से बढ़े हुए मिश्रण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त एथनॉल आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। सरकारी तेल विपणन कंपनियों का लक्ष्य चालू आपूर्ति वर्ष में 18 प्रतिशत मिश्रण हासिल करना है।
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) के चेयरमैन प्रफुल विठलानी ने चुनिंदा मूल्य वृद्धि को एक ‘एहतियाती कदम’ बताया और कहा कि सरकार गन्ना के रस और बी श्रेणी के शीरा से बने एथनॉल की कीमतों में वृद्धि न करके चीनी उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती है।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा एथनॉल मिश्रण 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2023-24 में 707 करोड़ लीटर हो गया है, जिससे औसत मिश्रण 14.60 प्रतिशत प्राप्त हुआ है।
बयान में कहा गया है कि ईबीपी कार्यक्रम से 1,13,007 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है और एक दिसंबर, 2024 तक के दशक में लगभग 193 लाख टन कच्चे तेल के आयात से बचा जा सका है।
भाषा अनुराग रमण
रमण
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)