(सुष्मिता गोस्वामी)
दर्रांगा, आठ नवंबर (भाषा) केंद्र सरकार देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों से होकर गुजरने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर पारगमन (ट्रांजिट) मार्गों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसका मकसद देश की सीमा से जुड़े मित्र देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देना है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण (एलपीएआई) के चेयरमैन आदित्य मिश्रा ने कहा कि एक ही छत के नीचे व्यापार और आव्रजन के लिए उचित सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न देशों के साथ सीमाओं पर देशभर में एकीकृत पारगमन पत्तन विकसित किए जा रहे हैं।
मिश्रा ने पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, “सरकार का विचार है कि पारगमन बंदरगाहों में उचित सुविधाएं और उचित सुरक्षा हो ताकि ये बिना किसी अव्यवस्था के सुरक्षित और आरामदायक स्थान बन सकें। अव्यवस्था को दूर करने और सभी औपचारिकताओं- सीमा शुल्क, आव्रजन, आदि को एकीकृत करने के लिए ये बंदरगाह स्थापित किए जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत और सात देशों के बीच 15,000 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगभग 90 स्थानों से माल का आवागमन होता है।
मिश्रा ने कहा, “सरकार का प्रयास सबसे पहले सबसे रणनीतिक और महत्वपूर्ण पारगमन बिंदुओं की पहचान करना रहा है। हम पहले ही 15 स्थानों को इसके तहत ला चुके हैं।’’
मिश्रा ने बृहस्पतिवार को असम के दर्रांगा में भूटान के साथ पहली एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) के उद्घाटन के अवसर पर एलपीएआई द्वारा निर्मित भूमि बंदरगाहों का विवरण साझा किया।
उन्होंने कहा कि एलपीएआई अन्य नौ भूमि पत्तन बनाने की प्रक्रिया में है, जो निर्माणाधीन हैं, जबकि 26 अन्य के लिए परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है और केंद्र ने काम शुरू करने की सहमति दे दी है।
मिश्रा ने कहा, “इन परियोजनाओं के अंत तक लगभग 50 ऐसे स्थान कवर किये जायेंगे जो अधिक सक्रिय हैं।”
गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग के अंतर्गत एक सांविधिक निकाय के रूप में स्थापित एलपीएआई को भूमि बंदरगाहों के निर्माण और माल तथा यात्रियों की निर्बाध और कुशल आवाजाही के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा सुविधाएं प्रदान करने का कार्य सौंपा गया है।
भाषा अनुराग अजय
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