नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) और वित्तीय संस्थानों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों को पूरा करने की समयसीमा अगस्त, 2026 तक बढ़ा दी है।
वित्त मंत्रालय के कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, केंद्र सरकार ने जनहित में सीपीएसई और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सार्वजनिक हिस्सेदारी को कम-से-कम 25 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए एक अगस्त, 2026 तक का समय दिया है।
जिन केंद्रीय उपक्रमों में सार्वजनिक हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से कम है और जो प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) नियम 1957 के नियम 19 ए में निर्धारित समयसीमा के भीतर अपनी सार्वजनिक हिस्सेदारी को कम-से-कम 25 प्रतिशत तक नहीं बढ़ा सके, उन्हें अब दो साल का और समय मिलेगा।
पहले के आदेश के मुताबिक, दो साल की छूट एक अगस्त, 2024 को समाप्त हो रही थी।
कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से अनुरोध है कि वह मामले में जरूरी कार्रवाई करे और इसे संबंधित शेयर बाजारों के ध्यान में लाए।
सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में से पांच को अब भी न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता मानदंडों का पालन करना बाकी है। इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से अधिक है।
सेबी के अनुसार, सभी सूचीबद्ध कंपनियों को 25 प्रतिशत न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता बनाये रखने की जरूरत है।
पांच बैंकों में न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से कम है।
फिलहाल पंजाब एंड सिंध बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 98.25 प्रतिशत है। वहीं, चेन्नई के इंडियन ओवरसीज बैंक में 96.38 प्रतिशत, यूको बैंक में 95.39 प्रतिशत, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 93.08 प्रतिशत, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 86.46 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
भाषा रमण अजय
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