सरकार ने 2024-25 सत्र के लिए 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी |

सरकार ने 2024-25 सत्र के लिए 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी

सरकार ने 2024-25 सत्र के लिए 10 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी

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Modified Date: January 20, 2025 / 07:55 PM IST
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Published Date: January 20, 2025 7:55 pm IST

नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) केंद्र ने सोमवार को सितंबर में समाप्त होने वाले 2024-25 सत्र के लिए 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। इसका उद्देश्य घरेलू कीमतों को स्थिर करना और चीनी उद्योग को समर्थन प्रदान करना है।

खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोशल मीडिया पर इस निर्णय की घोषणा करते हुए कहा कि इस उपाय से पांच करोड़ किसान परिवारों और 5,00,000 श्रमिकों को लाभ होगा और साथ ही चीनी क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।

जोशी ने कहा कि इससे चीनी मिलों की नकदी की स्थिति सुधरेगी, गन्ने के बकाये का समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा, साथ ही उपभोक्ताओं के लिए उपलब्धता और कीमतों में संतुलन कायम होगा।

खाद्य मंत्रालय के आदेश में आवंटित मात्रा के भीतर सभी ग्रेड की चीनी के निर्यात की अनुमति है। वर्ष 2024-25 में उत्पादन शुरू करने वाली नई मिलों और बंद होने के बाद फिर से परिचालन शुरू करने वाली मिलों को भी निर्यात कोटा मिला है।

चीनी मिलें 30 सितंबर तक सीधे या व्यापारिक निर्यातकों के माध्यम से निर्यात कर सकती हैं। उनके पास 31 मार्च तक कोटा छोड़ने (सरेंडर करने) या परिवहन लागत कम करने के लिए घरेलू कोटा के साथ उनका आदान-प्रदान करने का विकल्प है।

यह नीति, चीनी मिलों को खाद्य मंत्रालय की मंजूरी के अधीन आपसी समझौतों के माध्यम से घरेलू मासिक रिलीज मात्रा के साथ निर्यात कोटा अदला-बदली करने की अनुमति देती है।

अग्रिम प्राधिकरण योजना के तहत चीनी निर्यात मौजूदा प्रावधानों के तहत जारी रहेगा।

यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब स्थानीय चीनी की कीमतें 18 महीने के निचले स्तर पर आ गई हैं, जिससे मिलों के मार्जिन पर दबाव पड़ रहा है। भारत का चीनी उत्पादन वर्ष 2024-25 में पिछले साल के 3.2 करोड़ टन से घटकर 2.7 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो 2.9 करोड़ टन से अधिक की घरेलू खपत आवश्यकता से कम है।

राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखानों के संघ के अनुसार, देश का चीनी उत्पादन 15 जनवरी तक एक करोड़ 30.6 लाख टन रहा है, जो प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में कम पैदावार के कारण साल-दर-साल 13.66 प्रतिशत कम है।

देश ने घरेलू आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण पिछले 2023-24 सत्र में निर्यात को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था।

भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (आईएसबीएमए) ने इस निर्णय का स्वागत किया है।

आईएसबीएमए के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने एक बयान में कहा, ‘‘यह निर्णय चीनी मिलों को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करता है, जिससे उन्हें महत्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न करने में मदद मिलेगी, जो किसानों को समय पर गन्ना भुगतान करने में योगदान देगा।’’

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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