नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) केंद्र ने शुक्रवार को व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, बड़ी खुदरा श्रृंखला विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए गेहूं का स्टॉक रखने की सीमा सख्त कर दी। इसका उद्देश्य मूल्यवृद्धि और जमाखोरी पर लगाम लगाना है।
गेहूं पर यह संशोधित स्टॉक सीमा, 24 जून को लगाए गये स्टॉक सीमा के बमुश्किल दो महीने बाद आई है। ये प्रतिबंध सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 31 मार्च, 2025 तक लागू रहेंगे।
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि संशोधित नियमों के तहत, व्यापारियों और थोक विक्रेताओं को अब 2,000 टन तक स्टॉक करने की अनुमति है, जबकि पहले यह सीमा 3,000 टन थी।
बड़ी खुदरा श्रृंखला विक्रेता प्रत्येक बिक्रीकेन्द्र में ‘‘10 टन और अपने सभी डिपो पर (कुल बिक्रीकेन्द्र की संख्या का 10 गुना) तक गेहूं का भंडारण कर सकते हैं।’’
पहले, उन पर बिक्री केन्द्र की संख्या के आधार पर गेहूं स्टॉक करने पर कोई प्रतिबंध नहीं था।
प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए, सीमा को घटाकर उनकी मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) का 60 प्रतिशत कर दिया गया है। अबतक यह 70 प्रतिशत था।
व्यक्तिगत खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा को अपरिवर्तित रखा गया है यानी वे 10 टन तक गेहूं का स्टॉक रख सकते हैं।
सरकार ने सभी संस्थाओं को अपने स्टॉक की स्थिति घोषित करने और इसे नियमित रूप से खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल ‘‘एचटीटीपीएस:// ईवीईजीओआईएलएस डॉट एनआईसी डॉट आईएन / डब्ल्यूएसपी/ लॉगइन’’ पर अद्यतन करने को अनिवार्य किया है।
निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक रखने वालों को नए मानदंडों का पालन करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है।
बयान में कहा गया है कि केंद्र और राज्य दोनों अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं के प्रवर्तन की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में ‘गेहूं की कोई कृत्रिम कमी’ न पैदा हो।
भाषा राजेश राजेश रमण
रमण
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