नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) सरकार ने किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करने और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमत में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए 35,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पीएम-आशा योजना को जारी रखने की मंजूरी दी है।
एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमत में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी गई।’’
इसमें कहा गया है कि 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक कुल वित्तीय व्यय 35,000 करोड़ रुपये का होगा।
सरकार ने किसानों और उपभोक्ताओं को अधिक कुशलता से सेवा प्रदान करने के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजनाओं को पीएम-आशा में एकीकृत किया है।
सरकार ने कहा, ‘‘पीएम-आशा की एकीकृत योजना, कार्यान्वयन में अधिक प्रभावशीलता लाएगी, जो न केवल किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान करने में मदद करेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर उनकी उपलब्धता सुनिश्चित करके आवश्यक वस्तुओं की मूल्य अस्थिरता को भी नियंत्रित करेगी।’’
पीएम-आशा में अब मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ), मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीओपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के घटक होंगे।
पीएम-आशा किसानों को एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक योजना है।
पीएसएस के तहत, सत्र 2024-25 से एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और नारियल गरी की खरीद राष्ट्रीय उत्पादन का 25 प्रतिशत होगी। इससे राज्यों को ‘संकट’ बिक्री को रोकने के लिए किसानों से एमएसपी पर इन फसलों की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी।
सरकार ने कहा, ‘‘हालांकि, सत्र 2024-25 के लिए अरहर, उड़द और मसूर के मामले में यह सीमा लागू नहीं होगी क्योंकि 2024-25 सत्र के दौरान अरहर, उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद होगी, जैसा कि पहले तय किया गया था।’’
केंद्र ने एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और नारियल गरी (खोपरा) की खरीद के लिए मौजूदा सरकारी गारंटी को नवीनीकृत और बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये कर दिया है।
इससे बाजार की कीमतें जब भी एमएसपी से कम होंगी, तो दलहन, तिलहन और खोपरा की अधिक खरीद में मदद मिलेगी।
कृषि विभाग द्वारा किसानों से एमएसपी पर खरीद की जाएगी, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के ई-समृद्धि पोर्टल और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पहले से पंजीकृत किसान शामिल हैं।
सरकार ने कहा, ‘‘इससे किसानों को देश में इन फसलों की अधिक खेती करने के लिए प्रेरणा मिलेगी और इन फसलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में योगदान मिलेगा, जिससे घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी।’’
पीएसएफ योजना का विस्तार, दालों और प्याज के रणनीतिक बफर स्टॉक को संतुलित रूप से बाजार में जारी करने के लिए बनाए रखकर कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता से उपभोक्ताओं को बचाने में मदद करेगा।
यह योजना जमाखोरी और सट्टेबाजों को हतोत्साहित करने में मदद करेगी।
जब भी बाजार में कीमतें एमएसपी से अधिक होंगी, तो बाजार मूल्य पर दालों की खरीद उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा की जाएगी, जिसमें नेफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व-पंजीकृत किसान शामिल होंगे।
बफर रखरखाव के अलावा पीएसएफ योजना के तहत हस्तक्षेप टमाटर जैसी अन्य फसलों और भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की सब्सिडी वाली खुदरा बिक्री में किया गया है।
राज्यों को अधिसूचित तिलहनों के लिए एक विकल्प के रूप में मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीडीपीएस) के कार्यान्वयन की दिशा में आगे आने को प्रोत्साहित करने के लिए कवरेज को राज्य तिलहन उत्पादन के मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है और किसानों के लाभ के लिए कार्यान्वयन अवधि को तीन से बढ़ाकर चार महीने कर दिया गया है।
एमएसपी और बिक्री/मॉडल मूल्य के बीच के अंतर का मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी के 15 प्रतिशत तक वहन किया जाएगा।
बदलावों के साथ एमआईएस के कार्यान्वयन का विस्तार जल्दी खराब होने वाली बागवानी फसलों को उगाने वाले किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करेगा।
बयान में कहा गया है, ‘‘सरकार ने कवरेज को उत्पादन के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है और एमआईएस के तहत भौतिक खरीद के बजाय सीधे किसानों के खाते में अंतर का भुगतान करने का एक नया विकल्प जोड़ा है।’’
कटाई के चरम समय में, उत्पादक राज्यों और उपभोक्ता राज्यों के बीच टीओपी (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों की कीमत के अंतर को पाटने के लिए सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ जैसी नोडल एजेंसियों द्वारा किए गए कार्यों के लिए परिवहन और भंडारण व्यय को वहन करने का निर्णय लिया है।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
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