नयी दिल्ली, 17 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) के प्रमुख अजय भूषण प्रसाद पांडेय ने बृहस्पतिवार को निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कॉरपोरेट गवर्नेंस (कंपनियों के संचालन से संबंधित व्यवस्था) में सुधार और भारतीय लेखा-परीक्षा को वैश्विक मानकों के साथ जोड़ने की जरूरत पर बल दिया।
पांडेय ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में कहा कि कंपनियों के संचालन से संबंधित सुधारों का संज्ञान लेना जारी रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कंपनी प्रबंधन, स्वतंत्र निदेशक और लेखा परीक्षा समिति, वैधानिक लेखा परीक्षक, शेयरधारक और नियामक कॉरपोरेट प्रशासन में सुधार के लिए रक्षा की पांच पंक्तियां हैं।
एनएफआरए चेयरपर्सन ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है…हमें विश्वास पैदा करना जारी रखना चाहिए। आप कॉरपोरेट गवर्नेंस में सुधार करें। हमें उस दिशा में काम करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि वैश्विक लेखा-परीक्षा मानकों को अपनाने से भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा जो दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
भारतीय लेखापरीक्षा पद्धतियों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने की वकालत करते हुए पांडेय ने कहा कि यह कॉरपोरेट जगत के हित में है। उन्होंने कहा कि वैश्विक लेखापरीक्षा मानदंडों को अपनाना आसान है क्योंकि भारत के पास वैश्विक मिसालें हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम वैश्विक मानकों का पालन नहीं कर भारतीय लेखा मानकों को अलग-थलग कर देंगे। कुछ बड़ी कॉरपोरेट विफलताएं संबंधित पक्ष लेनदेन और अनुषंगी कंपनियों द्वारा पैसे की हेराफेरी के कारण हुई हैं। हमें लेखापरीक्षा मानक एसए 600 में बदलाव और गुणवत्ता प्रबंधन के नए मानक लागू करने जैसे सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए, ताकि अनुषंगी कंपनियों के जरिये धोखाधड़ी की आशंका कम हो सके।’’
उन्होंने कहा कि लेखा-परीक्षा मानकों में सुधार से धोखाधड़ी का जल्द पता लग सकेगा। उन्होंने कहा कि लेखापरीक्षा सुधारों के बिना भारत 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था नहीं बन सकता है।
उन्होंने विश्वास जताया कि भारतीय अकाउंटेंट और चार्टर्ड अकाउंटेंट वैश्विक मानकों का पालन करके दुनिया पर अपना दबदबा बना सकते हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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