नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) वर्ष 2025 में सोने की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है, जबकि चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है। संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 मे यह बात कही गई है।
अक्टूबर, 2024 के लिए विश्व बैंक के ‘जिंस बाजार परिदृश्य’ का हवाला देते हुए, आर्थिक समीक्षा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जिंसों की कीमतों में 2025 में 5.1 प्रतिशत और वर्ष 2026 में 1.7 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
अनुमानित गिरावट तेल की कीमतों के कारण है, लेकिन प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी तथा धातुओं एवं कृषि कच्चे माल के लिए स्थिर दृष्टिकोण से यह कम हो गई है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कीमती धातुओं में, सोने की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है, जबकि चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है। धातुओं और खनिजों की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण लौह अयस्क और जस्ता कीमतों में कमी आना है।
इसमें कहा गया, ‘‘सामान्य तौर पर, भारत द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में गिरावट का रुझान घरेलू मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के लिए सकारात्मक है।’’
इस बीच, आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘‘अनिश्चितता में वैश्विक वृद्धि ने विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना में उतार-चढ़ाव को जन्म दिया है। वर्ष 2024 में सोने की बुलियन होल्डिंग, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अपने उच्चतम स्तर के करीब पहुंच गई है, जो कि मुख्य रूप से उभरते बाजार के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने के संचय से प्रेरित थी।’’
वैश्विक कीमतों में वृद्धि, त्योहारी खर्च से पहले शुरुआती खरीद और सुरक्षित-संपत्तियों की मांग की वजह से सोने के आयात में वृद्धि हुई है।’’
समीक्षा में पाया गया कि वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता ने विदेशी मुद्रा भंडार की संरचना में उतार-चढ़ाव को जन्म दिया है, क्योंकि केंद्रीय बैंक जोखिमों को कम करने के लिए अपनी धारिता को समायोजित करते हैं।
इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि वैश्विक रिजर्व प्रणाली में लगातार बदलाव हो रहे हैं, जिसमें डॉलर के प्रभुत्व से धीरे-धीरे दूर जाना और गैर-पारंपरिक मुद्राओं की बढ़ती भूमिका शामिल है।
आर्थिक समीक्षा में सुझाव दिया गया कि सोने की कीमतों में अनुमानित गिरावट निवेशकों की भावना को प्रभावित कर सकती है, जबकि चांदी की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि सर्राफा बाजार को कुछ समर्थन प्रदान कर सकती है।
आगामी वित्त वर्ष की तैयारी के बीच, सरकार के द्वारा सर्राफा की कीमतों में उतार-चढ़ाव एवं मुद्रास्फीति, व्यापार और विदेशी मुद्रा भंडार पर उनके प्रभाव की बारीकी से निगरानी किये जाने की उम्मीद है।
भारत विश्व में सोने का सबसे बड़ा आयातक है।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)