(कुमार राहुल)
नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) त्वरित-वाणिज्य जैसे माध्यमों के तेजी से विकास तथा ओएनडीसी के उद्भव के साथ भारतीय खुदरा उद्योग का परिदृश्य 2025 के लिए आशावादी बना हुआ है जिसमें एआई तथा स्वचालन जैसी नई-युग की प्रौद्योगिकियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
नया साल भारतीय खुदरा उद्योग के लिए बदलाव का दौर हो सकता है जो विश्व स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाले उद्योगों में से एक है। देश में समकालीन खुदरा परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है, जो डिजिटल-प्रथम पीढ़ी ‘जेन जी’ (1997 से 2012 के बीच जन्मे लोग) और खुदरा प्रौद्योगिकियों की प्राथमिकताओं से प्रभावित है।
ईवाई इंडिया के ‘रिटेल प्रैक्टिस’ के कर प्रमुख परेश पारेख ने कहा, ‘‘ वित्त वर्ष 2024-25 में आपूर्ति श्रृंखला दक्षताओं के निर्माण पर निरंतर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है। साथ ही तेजी से आपूर्ति मांगों को पूरा करने के लिए लॉजिस्टिक्स हब तथा ट्रैकिंग सिस्टम को अपग्रेड किया जाएगा। त्वरित वाणिज्य, लॉजिस्टिक्स और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार सृजन भी जारी रहने की उम्मीद है।’’
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के अनुसार, 2024 भारतीय खुदरा क्षेत्र के लिए चुनौतियों और अवसरों का मिश्रण रहा।
कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कुमार राजगोपालन ने कहा, ‘‘ पहली छमाही में वृद्धि धीमी रही, खपत में मामूली वृद्धि हुई और उपभोक्ता खर्च में सतर्कता बरती गई। कई खुदरा विक्रेताओं को समान वृद्धि हासिल करने में संघर्ष करना पड़ा जो उपभोक्ता प्राथमिकताओं में बदलाव को दर्शाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ इसके बावजूद, यह वर्ष नवाचार तथा जुझारूपन भी लेकर आया।’’
खुदरा विक्रेताओं ने परिचालन और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाया है और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) जैसी पहल खासकर उन बाजारों तक पहुंचने के नए अवसर उत्पन्न कर रही हैं जो अभी तक पहुंच से बाहर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ इस क्षेत्र के भविष्य की बात करें तो सतर्कता के साथ आशावादी रुख कायम है। त्यौहारों तथा शादियों के मौसम ने इस गति को बढ़ाया है। रणनीतिक योजना के साथ खुदरा विक्रेता 2025 तक वृद्धि को बनाए रख सकते हैं।’’
भारतीय खुदरा क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 10 प्रतिशत का योगदान देता है।
अग्रणी खुदरा विक्रेता रिलायंस की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक इसके 1400 अरब अमेरिकी डॉलर को पार करने की उम्मीद है। यह 2030 तक तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनने की ओर अग्रसर है।
भाषा निहारिका नरेश
नरेश
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