सेबी के नए दिशानिर्देशों के बाद कुछ इक्विटी शोध कंपनियां बंद कर रहीं अपना कारोबार |

सेबी के नए दिशानिर्देशों के बाद कुछ इक्विटी शोध कंपनियां बंद कर रहीं अपना कारोबार

सेबी के नए दिशानिर्देशों के बाद कुछ इक्विटी शोध कंपनियां बंद कर रहीं अपना कारोबार

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Modified Date: January 22, 2025 / 05:42 PM IST
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Published Date: January 22, 2025 5:42 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) शोध विश्लेषकों (आरए) पर आए सेबी के नए दिशानिर्देशों के कारण अनुपालन एवं परिचालन जरूरतें बढ़ने से कई इक्विटी अनुसंधान कंपनियों को अपना कामकाज समेटने की सार्वजनिक रूप से घोषणा करनी पड़ रही है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्रतिभूति बाजार में धोखाधड़ी से शेयरों की सिफारिशें करने और अवैध तौर-तरीकों पर अंकुश लगाने के लिए आठ जनवरी को अनुसंधान विश्लेषकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।

इन दिशानिर्देशों के मुताबिक, अनुसंधान कंपनियों को ग्राहक संपर्कों का रिकार्ड रखने, अनुपालन ऑडिट करने और ‘अपने ग्राहक को जानो’ (केवाईसी) प्रक्रियाओं का पालन करने जैसे कठोर उपायों का अनुपालन करना जरूरी हो गया है। इन जरूरतों के कारण छोटी आरए फर्मों के लिए परिचालन लागत बढ़ गई है।

इसका नतीजा यह हुआ है कि सेंटिनल रिसर्च, स्टालवार्ट एडवाइजर्स और मिस्टिक वेल्थ जैसी कुछ आरए फर्मों ने परिचालन और अनुपालन बोझ का हवाला देते हुए अपनी शोध सेवाएं बंद करने की योजना की घोषणा कर दी है।

बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, नए दिशानिर्देशों ने व्यक्तियों के लिए आरए के रूप में पंजीकृत होने की सीमा को उल्लेखनीय रूप से घटा दिया है, जिससे नए लोगों के लिए इस पेशे में प्रवेश करना आसान हो गया है। हालांकि, स्थापित आरए के लिए इन दिशा-निर्देशों ने अनुपालन और परिचालन जरूरतो को बढ़ा दिया है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सेबी के नए नियम बहुत सख्त हैं और इनसे बाजार में अनुसंधान की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।

फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के संस्थापक संदीप पारेख ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि सेबी ‘अपने नियमों में बहुत आगे जा रही है और बाजार से सक्षम और ईमानदार सलाहकारों एवं शोधकर्ताओं को बाहर कर रही है।’

उन्होंने कहा, “अगर यह इसी तरह चलता रहा तो जो बचेगा वह अयोग्य एवं बेईमान, या अयोग्य या बेईमान सलाहकार होगा।”

स्वतंत्र शोध फर्म सेंटिनल रिसर्च चलाने वाले नीरज मराठे ने भी इसे लेकर सोशल मीडिया पर अपनी निराशा जाहिर की। उन्होंने इन निर्देशों का पिछले साल मसौदा आने पर ही अपनी शोध सेवाएं रोक दी थीं।

मराठे ने कहा, “मुझे उम्मीद थी कि वास्तविक नियम शर्तों एवं अनुपालन के मामले में मसौदे से बेहतर होंगे और स्पष्टता आने पर फिर से काम शुरू कर पाऊंगा। खैर, वास्तविक नियम बहुत खराब निकले! मैं भी अपना शोध सेवा पोर्टल बंद कर रहा हूं।”

भाषा अनुराग प्रेम

प्रेम

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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