नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की सामान्य परिषद की बैठक के पहले भारत, इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत कई देशों के मछुआरा समूहों ने मांग की है कि संगठन को मत्स्य पालन सब्सिडी पर बातचीत नहीं करनी चाहिए क्योंकि मौजूदा वार्ता ‘अनुचित और असंतुलित’ है।
जिनेवा स्थित मुख्यालय वाले डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश उन उपायों पर लगाम के तौर-तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं जो अधिक क्षमता और अधिक मछली पकड़ने में भूमिका निभा रहे हैं। इसके पहले गैरकानूनी, अघोषित और गैर-विनियमित मछली पकड़ने पर नुकसानदेह सब्सिडी को लेकर अंकुश लगाने के लिए एक समझौते को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के बाद डब्ल्यूटीओ का दूसरा सर्वोच्च निर्णायक निकाय सामान्य परिषद है। यह आने वाले समय में मत्स्य पालन सब्सिडी की वार्ता पर गौर करने वाली है।
इस बैठक के पहले मछुआरा संगठनों वर्ल्ड फोरम ऑफ फिशर्स पीपल्स और वर्ल्ड फोरम ऑफ फिश हार्वेस्टर्स एंड फिश वर्कर्स ने मौजूदा वार्ता के वर्तमान स्वरूप पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में छोटे स्तर के मछुआरों के लिए छूट को तर्कहीन शर्तें लगाकर सीमित किया जा रहा है।
छोटे स्तर के मछुआरों के शिखर सम्मेलन और मत्स्य पालन समिति की रोम में हुई बैठक के बाद एक बयान में दोनों संगठनों ने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि मछली पालन सब्सिडी वार्ता को डब्ल्यूटीओ से बाहर रखा जाना चाहिए। किसी भी वार्ता को खाद्य और कृषि संगठन की व्यापार पर उप-समिति के अधिदेश के तहत मत्स्य पालन समिति (सीओएफआई) के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।’’
बयान में मौजूदा समझौते पर जारी वार्ता को लेकर चिंता जताते हुए कहा गया है कि यह अनुचित और असंतुलित बनी हुई है और इसके घोषित उद्देश्यों के बिल्कुल उलट परिणाम देने का जोखिम बना हुआ है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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