पहली छमाही में राजकोषीय घाटा पूरे वित वर्ष के लक्ष्य के 29.4 पर : सरकारी आंकड़ा |

पहली छमाही में राजकोषीय घाटा पूरे वित वर्ष के लक्ष्य के 29.4 पर : सरकारी आंकड़ा

पहली छमाही में राजकोषीय घाटा पूरे वित वर्ष के लक्ष्य के 29.4 पर : सरकारी आंकड़ा

:   Modified Date:  October 30, 2024 / 06:19 PM IST, Published Date : October 30, 2024/6:19 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही के अंत में केंद्र का राजकोषीय घाटा समूचे वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का 29.4 प्रतिशत रहा है। बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।

लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार के व्यय और राजस्व के बीच का अंतर यानी राजकोषीय घाटा वास्तविक संदर्भ में सितंबर के अंत में 4,74,520 करोड़ रुपये था।

वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 39.3 प्रतिशत रहा था।

केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.6 प्रतिशत रहा था।

सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 16,13,312 करोड़ रुपये पर सीमित रखने का है। वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह 4,74,520 करोड़ रुपये के साथ निर्धारित लक्ष्य का 29.4 प्रतिशत रहा है।

वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-सितंबर अवधि में केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के लिए शुद्ध कर राजस्व 12.65 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 49 प्रतिशत था। सितंबर, 2023 के अंत में शुद्ध कर राजस्व संग्रह 49.8 प्रतिशत था।

वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में केंद्र सरकार का कुल व्यय 21.11 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 43.8 प्रतिशत रहा है। एक साल पहले की समान अवधि में सरकारी व्यय बजट अनुमान का 47.1 प्रतिशत था।

सरकार के कुल व्यय में से 16.96 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते में जबकि 4.15 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत खाते में थे।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने इन आंकड़ों पर कहा कि केंद्र का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में घटकर 4.7 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में सात लाख करोड़ रुपये था। इसके पीछे भारतीय रिजर्व बैंक के लाभांश भुगतान के साथ पूंजीगत व्यय में सालाना आधार पर आई गिरावट का भी योगदान है।

राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और राजस्व के बीच का अंतर है। यह सरकार की तरफ से जुटाए जाने वाले कुल कर्ज का भी संकेत देता है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

 

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