मुंबई, 13 दिसंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि नियामक को इस तरह से नियम बनाने चाहिए कि लोग असहमत न हों और प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) में उसके फैसलों को चुनौती न दें।
तीन दशकों से बाजार नियामक से जुड़े कार्यकारी निदेशक वी सुंदरेसन ने यहां ‘विश्व हिंदू आर्थिक मंच’ को संबोधित करते हुए कहा कि पूंजी निर्माण की सुविधा प्रदान करना और निवेशकों का भरोसा बनाए रखना सेबी की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
सुंदरेसन ने कहा, ‘एक फील्ड अंपायर के तौर पर हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि लोग फील्ड अंपायर से असहमत न हों और तीसरे अंपायर यानी सैट के पास न जाएं।’
उन्होंने कहा कि ‘खेल’ तभी सही तरीके से खेला जाएगा जब अंपायर ‘निष्पक्ष’ होगा और इससे निवेशकों के बीच विश्वास बढ़ेगा।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के वरिष्ठ अधिकारी की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब नियामक के अधिकांश आदेशों पर कई तबकों में चिंताएं जताई जा रही हैं। सैट में उन आदेशों पर रोक लगा दी जा रही है या फिर उन्हें पलट ही दिया जा रहा है।
सुंदरेसन ने कहा कि सेबी ने कारोबारी सुगमता के एजेंडे में परामर्श का तरीका अपनाया है। उन्होंने कहा कि सेबी के 400 में से 250 प्रस्ताव पहले ही लागू किए जा चुके हैं और बाकी पर काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में कंपनियों की तरफ से लाए जाने वाले सार्वजनिक निर्गमों की संख्या सात गुना होकर 209 तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि भारत ऐसे निर्गमों की संख्या के मामले में अब सबसे बड़ा और पूंजी जुटाने के मामले में पांचवां सबसे बड़ा देश है।
सुंदरेसन ने कहा कि अर्थव्यवस्था में बचत करने वालों को निवेशक के रूप में तब्दील करने की जरूरत है। उन्होंने निवेश के ऐसे साधनों पर जोर दिया जिसमें 100 रुपये भी म्यूचुअल फंड में लगाए जा सकें। उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड आम निवेशक के लिए बाजार तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका है।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
रमण
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