Fall in the prices of edible oils

महंगाई से मिली राहत! खूब बनाएं पकोड़े, खाद्य तेलों के दामों में आई गिरावट

Fall in the prices of edible oils: भारत के शुल्क लगाने के कदम के कारण विदेशों में भी खाद्यतेल के बाजार टूटने की संभावना है।

Edited By :   Modified Date:  April 30, 2023 / 12:37 PM IST, Published Date : April 29, 2023/10:44 pm IST

Fall in the prices of edible oils : नई दिल्ली। दिल्ली तेल तिलहन बाजार में कारोबार का मिला जुला रुख दिखाई दिया। एक ओर जहां सरसों तेल तिलहन, सोयाबीन तिलहन एवं सोयाबीन दिल्ली तेल और बिनौला तेल कीमतों में मजबूती रही, वहीं दूसरी ओर लिवाली कम होने की वजह से कच्चा पामतेल की कीमतों में गिरावट आई। लिवाली कम होने और भाव ऊंचा बोले जाने के बीच मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन इंदौर एवं डीगम तेल, पामोलीन एक्स कांडला तेल पूर्वस्तर पर टिके रहे।

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Fall in the prices of edible oils : बाजार सूत्रों ने कहा कि सरसों तेल तिलहन, सोयाबीन तिलहन एवं सोयाबीन दिल्ली तेल और बिनौला तेल कीमतों में सुधार की वजह यह है कि इनके दाम ऊंचे बोले जा रहे हैं, पर वास्तविकता यह है कि सस्ते आयातित तेलों की बहुतायत के बीच इन तेलों के लिवाल बाजार में कम हैं। अधिकांश सरसों और बिनौला की तेल पेराई मिलें बंद हो रही हैं। भाव ऊंचा बोले जाने की वजह से इन तेल तिलहनों में सुधार दिख रहा है।

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Fall in the prices of edible oils : सूत्रों ने कहा कि देश में सीपीओ का प्रसंस्करण कर पामोलीन बनाने के दौरान लागत बढ़ जाती है, इसलिए सीपीओ के लिवाल नहीं हैं, जिसकी वजह से सीपीओ के दाम टूटे हैं। दूसरी ओर ‘सॉफ्ट ऑयल’ (नरम तेल- सूरजमुखी, सोयाबीन इत्यादि) बेहद सस्ता होने से पामोलीन टिक नहीं पा रहा है और लिवाली कमजोर रहने के बीच पामोलीन तेल कीमतें पूर्वस्तर पर बनी रहीं। उन्होंने कहा कि वैसे तो सस्ते नरम तेलों के कारण बिनौला तेल के भी खपने की दिक्कत है, लेकिन बिनौला और सरसों की अधिकांश तेल मिलें बंद होने की वजह से इनकी कीमतों में सुधार है।

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सूत्रों ने कहा कि तिलहन किसान बहुत तकलीफ में हैं और उनके बीच नाराजगी भी दिख रही है। सूत्रों ने कहा कि सरकार को आयात शुल्क लगा देना चाहिये और इससे जो राजस्व की प्राप्ति हो, उसमें से कुछ धन सब्सिडी के तौर पर वह गरीब या निम्न मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के खाते में सीधा दे सकती है। इससे स्थिति पर काफी नियंत्रण हो सकता है। विश्व में भारत खाद्य तेलों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और यहां काफी अत्यधिक मात्रा में खाद्य तेलों का आयात किया जाता है, इसलिए भारत के शुल्क लगाने के कदम के कारण विदेशों में भी खाद्यतेल के बाजार टूटने की संभावना है।

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शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 4,850-4,950 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,750-6,810 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,650 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,520-2,785 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,550-1,620 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,550-1,660 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,600 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,950 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 5,210-5,260 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,960-5,040 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

 

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