सरसों में गिरावट, मूंगफली में सुधार |

सरसों में गिरावट, मूंगफली में सुधार

सरसों में गिरावट, मूंगफली में सुधार

:   Modified Date:  July 23, 2024 / 08:24 PM IST, Published Date : July 23, 2024/8:24 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) आयातित खाद्य तेलों के सस्ते थोक दाम के आगे देशी तेल-तिलहन की पस्त हालत के बीच घरेलू बाजारों में मंगलवार को सरसों तेल-तिलहन और बिनौला तेल में गिरावट रही जबकि आवक की कमी के बीच मांग निकलने से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार आया। कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा सोयाबीन तेल- तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

शिकॉगो एक्सचेंज कल रात मजबूत बंद हुआ था और अब भी यहां सुधार चल रहा है। जबकि मलेशिया एक्सचेंज में मामूली घट-बढ़ है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सहकारी संस्था नाफेड ने 22 जुलाई को दूसरी बार मंगाई गई निविदा को कम कीमत की वजह से निरस्त कर दिया। वैसे भी यह सरसों लगभग तीन साल पुरानी है। वैसे भी सरसों के अलावा बाकी देशी खाद्य तेल, मिश्रणयुक्त हैं क्योंकि बाकी खाद्य तेल में मिश्रण की छूट मिली हुई है। अगर सरकार को बजट घोषणा के अनुरूप तेल-तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करनी है तो पहले उसे सस्ते आयातित खाद्य तेल, विशेषकर सूरजमुखी तेल के आयात को नियंत्रित करना होगा जो पूरे तेल-तिलहन उद्योग को चौपट कर रहा है। अन्यथा बजट में तिलहन उत्पादन बढ़ाने का सरकार का मंतव्य एक सपना बनकर रह जायेगा।

सूत्रों ने कहा कि आवक कम होने के बीच अगले महीने त्योहारों के मद्देनजर मांग निकलने से मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार है।

सूत्रों ने कहा कि बजट की घोषणा के अनुरूप तेल-तिलहन में उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए बाजार को दुरुस्त करने की जरूरत है। मौजूदा स्थितियां इसके उलट हैं जहां सूरजमुखी जैसे खाद्य तेल का जरूरत से लगभग दोगुना आयात हो रहा है और जिस तेल के दाम घरेलू तेल से लगभग आधे हैं। ऐसी स्थिति के बीच 81-82 रुपये लीटर वाले आयातित सूरजमुखी तेल के आगे 125-150 रुपये लीटर वाला देशी खाद्य तेल कहां से खपेगा? इस बारे में किसको फिक्र है? तेल संगठन ‘सोपा’ ने कई बार इस बात को उठाया है कि सस्ते आयात से निपटने और देश में सस्ते आयातित तेलों की डम्पिंग को रोकने के लिए आयात शुल्क बढ़ाने के बारे में पहल करनी चाहिये। यह आगे जाकर पूरे तेल-तिलहन कारोबार को ध्वस्त कर सकता है जिसके बाद देश के खाद्य तेलों के मामले में पूरी तरह आयात पर निर्भर होने का खतरा हो सकता है। जब तेल-तिलहन उद्योग नहीं बचेगा तो तिलहन किसान कहां बचेंगे?

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,950-6,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,525-6,800 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,650 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,350-2,650 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,575 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,890-1,990 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,890-2,015 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,125 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,675 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,625 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,900 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,585-4,605 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,395-4,515 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,125 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)