नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) अखिल भारतीय किसान संघ के महासंघ (एफएआईएफए) ने बृहस्पतिवार को एक व्यापक कृषि रूपरेखा जारी किया। इसमें वर्ष 2040 तक भारत के कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे और टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ाने का आह्वान किया गया है।
किसान दिवस-2024 के अवसर पर ‘‘भारतीय कृषि परिदृश्य 2025’’ शीर्षक वाले श्वेत पत्र का अनावरण सांसद मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी और पुट्टा महेश कुमार ने किया। इसमें कम उत्पादकता, मौसम की कमजोरियों और खंडित भूमि जोत सहित तमाम चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।
एफएआईएफए ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘फसल, पशुधन और मत्स्य पालन क्षेत्रों में सरकारी पहल के बावजूद भारतीय कृषि की पूरी क्षमता को साकार करने में महत्वपूर्ण बाधाएं कायम हैं।’’
एफएआईएफए ने अनुमान लगाया कि भारतीय कृषि वर्ष 2025 से वर्ष 2030 तक 5.5 प्रतिशत की संचयी वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगी और इसका कुल मूल्य 42 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। वर्ष 2030 तक खाद्यान्न उत्पादन मौजूदा के 33 करोड़ टन से 25 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
देशभर में वाणिज्यिक फसल उगाने वाले किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले महासंघ ने वर्ष 2025 तक अल्पकालिक लक्ष्यों, वर्ष 2030 तक मध्यम अवधि के उद्देश्यों और वर्ष 2040 तक के दीर्घकालिक लक्ष्यों को शामिल करते हुए तीन-स्तरीय रणनीति की रूपरेखा तैयार की।
मुख्य अल्पकालिक सिफारिशों में इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) को मजबूत करना, सिंचाई कवरेज का विस्तार करना और एग्रीस्टैक मंच के माध्यम से प्राकृतिक खेती के तरीकों को बढ़ावा देना शामिल है।
भाषाा राजेश राजेश अजय
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