नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) साख निर्धारित करने वाली एजेंसी एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने बुधवार को कहा कि भारत में आपूर्ति क्षमता काफी तेजी से बढ़ रही है, जिससे महंगाई के दबाव को काबू करने में मदद मिलेगी।
एस एंड पी के वरिष्ठ अर्थशास्त्री (एशिया प्रशांत) विश्रुत राणा ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति और मुद्रास्फीति लक्ष्य भरोसेमंद बना हुआ है। इससे उम्मीद है कि आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सक्षम होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रबंधन के स्तर पर चुनौती बनी हुई है।’’
उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है। मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई बढ़ी है। यह आरबीआई के संतोषजनक स्तर (दो से छह प्रतिशत) से ऊपर है। सितंबर में यह 5.49 प्रतिशत थी।
राणा ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कर्ज परिदृश्य, 2025 की स्थिति पर आयोजित सम्मेलन में कहा, ‘‘…जब तक अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति क्षमता में तेजी से विस्तार जारी रहेगा, हमें उम्मीद है कि मुद्रास्फीति का दबाव नियंत्रित होना चाहिए। इस समय विनिर्माण बुनियादी ढांचे आदि पर जोर देने के साथ भारत में यह हो रहा है।’’
आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। उसने चालू वित्त वर्ष में इसके 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
राणा ने कहा, ‘‘उपभोग और टिकाऊ वृद्धि के बीच नीति-निर्माताओं और परिवारों के लिए संतुलन का अर्थ यह सुनिश्चित करना है कि हर कोई अपने साधनों के भीतर खर्च करे। इससे बचत बढ़ सकती है।’’
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उपभोग एक प्रमुख तत्व है। कुल वृद्धि में निजी उपभोग का हिस्सा 55 प्रतिशत से अधिक है।
राणा ने कहा, ‘‘हम अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत उपभोग आधारित वृद्धि परिदृश्य देख रहे हैं। कुल मिलाकर, बुनियादी ढांचा वृद्धि का एक अन्य प्रमुख तत्व है। पिछले कुछ साल से शहरी उपभोग पिछली वृद्धि को गति देने वाला प्रमुख तत्व बना हुआ है।’’
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत हद तक घरेलू कारकों पर आधारित है। अर्थव्यवस्था का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा घरेलू मांग पर निर्भर है। इसका अर्थ है कि उपभोग आगे चलकर वृद्धि को गति देगा।
राणा ने कहा कि इसके अलावा कृषि उत्पादकता को समर्थन देने के प्रयास आगे चलकर उपभोग की गति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि कृत्रिम मेधा और डिजिटलीकरण पर जोर को देखते हुए कार्यबल को कुशल बनाने की आवश्यकता है।
भाषा रमण अजय
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