अच्छी सरकारी नीतियों को भी करना पड़ता है बड़ी कंपनियों के विरोध का सामना: नागेश्वरन |

अच्छी सरकारी नीतियों को भी करना पड़ता है बड़ी कंपनियों के विरोध का सामना: नागेश्वरन

अच्छी सरकारी नीतियों को भी करना पड़ता है बड़ी कंपनियों के विरोध का सामना: नागेश्वरन

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Modified Date: January 20, 2025 / 09:24 PM IST
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Published Date: January 20, 2025 9:24 pm IST

नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि एक अच्छी सरकारी नीति को भी बड़ी कंपनियों के विरोध का सामना करना पड़ता है। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र को समय पर भुगतान से जुड़ी नीति का विरोध किया जाता है।

उन्होंने इंडिया एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार ने एमएसएमई की कार्यशील पूंजी की समस्या को कम करने के लिए सोच-विचारकर एक व्यावहारिक पहल की है।

नागेश्वरन ने कहा कि संशोधित कानून किसी दिये गये वित्त वर्ष के भीतर भुगतान करने और कटौती का दावा करने के लिए पर्याप्त गुंजाइश देता है। लेकिन फिर भी, इस तरह के छोटे से कदम का भी देश की बड़ी कंपनियों विरोध करती हैं। इतना ही नहीं उनका प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन एमएसएमई के लिए 45 दिन की भुगतान सीमा को खत्म करने की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस देश में जारी कुछ राजनीतिक अर्थव्यवस्था और व्यावहारिक प्रतिरोध को देखें, वह बना हुआ है। बड़े उद्यम बजाय इसके कि वे सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए कार्यशील पूंजी के स्रोत बनें, अब भी सूक्ष्म और लघु उद्यमों को अपने लिए कार्यशील पूंजी के स्रोत के रूप में देखते हैं।’’

वित्त अधिनियम 2023 के माध्यम से पेश आयकर अधिनियम की धारा 43बी (एच) के अनुसार, यदि कोई बड़ी कंपनी एमएसएमई को समय पर भुगतान नहीं करती है… लिखित समझौतों के मामले में 45 दिन के भीतर… तो वह उस खर्च को अपने कर योग्य आय से नहीं हटा सकती है। इससे उन्हें संभावित रूप से उच्च कर का भुगतान करना पड़ेगा।

नागेश्वरन ने कृषि के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भविष्य का क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि विनिर्माण और सेवाओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि एक बड़े देश के प्रभुत्व के कारण विनिर्माण को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। वहीं सेवा क्षेत्र को प्रौद्योगिकी विकास और अंतरराष्ट्रीय व्यापार से संबंधित प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक समीक्षा में कंपनियों द्वारा भूमि उपयोग के मुद्दे पर ध्यान दिया जा सकता है।

सीईए ने कहा कि भारत में भूमि पहले से ही एक बहुत ही दुर्लभ संसाधन है और यह कई नियमों के अधीन है।

उन्होंने कहा कि उद्यमों को उत्पादक उद्देश्यों के लिए उपलब्ध पूरी भूमि का उपयोग करने का मौका नहीं मिलता है।

भाषा रमण अजय

अजय

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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