यूरोपीय संघ का वनों की कटाई से जुड़े कानून को लागू करने की समयसीमा बढ़ाने का प्रस्ताव |

यूरोपीय संघ का वनों की कटाई से जुड़े कानून को लागू करने की समयसीमा बढ़ाने का प्रस्ताव

यूरोपीय संघ का वनों की कटाई से जुड़े कानून को लागू करने की समयसीमा बढ़ाने का प्रस्ताव

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Modified Date: October 3, 2024 / 05:16 PM IST
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Published Date: October 3, 2024 5:16 pm IST

नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) कुछ उत्पादों के निर्यातकों को राहत देते हुए यूरोपीय आयोग ने दो अक्टूबर को अपने वनों की कटाई से जुड़े कानून (ईयूडीआर) को लागू करने की समयसीमा बढ़ाने का प्रस्ताव किया है।

शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि बड़ी कंपनियों को अब 30 दिसंबर, 2025 और छोटे व सूक्ष्म उद्यमों को 30 जून, 2026 से इसका अनुपालन करना होगा।

ब्राजील, भारत, इंडोनेशिया और अमेरिका सहित प्रमुख कृषि निर्यातक देशों ने यूरोपीय संघ के वनों की कटाई से जुड़े विनियमन (ईयूडीआर) पर आपत्ति जताई है।

यूरोपीय आयोग ने बयान में कहा, ‘‘ …आयोग ने संबंधित पक्षों को तैयारी के लिए अतिरिक्त समय देने का भी प्रस्ताव रखा है। यदि यूरोपीय संसद तथा परिषद द्वारा इसे मंजूरी दे दी जाती है, तो यह कानून बड़ी कंपनियों के लिए 30 दिसंबर, 2025 को और सूक्ष्म व लघु उद्यमों के लिए 30 जून, 2026 को लागू होगा।’’

ईयूडीआर को 16 मई, 2023 को अपनाया गया था। इसका मकसद यूरोपीय संघ के बाजार में वनों की कटाई और वन क्षरण में योगदान देने वाली विशिष्ट वस्तुओं के आयात को रोकना है।

इसमें कॉफी, चमड़ा, लकड़ी का सामान, कागज और पेपरबोर्ड शामिल हैं। इस उत्पाद सूची को और विस्तारित करने की योजना है। हालांकि, इस विनियमन को कई प्रमुख व्यापारिक साझेदारों से भारी विरोध का सामना करना पड़ा है।

जीटीआरआई ने कहा कि इस विनियमन के कारण यूरोपीय संघ को भारत से प्रतिवर्ष 1.3 अरब डॉलर मूल्य के कॉफी, चमड़े और पेपरबोर्ड जैसे उत्पादों का निर्यात प्रभावित हो सकता है।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ भारत के लिए ईयूडीआर की जटिल अनुपालन आवश्यकताएं एक गंभीर चुनौती पेश करती हैं।’’

उन्होंने कहा कि अनुपालन प्रक्रिया विशेष रूप से बोझिल है। निर्यातकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि यूरोपीय संघ के बाजार के लिए माल का उत्पादन करने के लिए इस्तेमाल होने वाली जमीन पर 31 दिसंबर, 2020 के बाद वनों की कटाई नहीं की गई हो।

उन्होंने कहा कि इस जटिल प्रक्रिया में कृषि तथा किसान से जुड़े आंकड़ों को यूरोपीय संघ के साथ साझा करना भी शामिल है। कंपनियों को यूरोपीय संघ के आयातकों को एक उचित विवरण प्रस्तुत करना होगा, जिसमें यह प्रमाणित किया जाएगा कि उनके उत्पाद भूमि उपयोग, श्रम तथा मानवाधिकारों से संबंधित स्थानीय और यूरोपीय संघ के नियमों का अनुपालन करते हैं।

भाषा निहारिका अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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