नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) पर्यावरण अनुकूल उपायों, समावेश और सुरक्षा से संबंधित नए तत्व अब वैश्विक व्यापार चर्चाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और वे भविष्य की वार्ताओं को निर्धारित करेंगे। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह कहा।
वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव एल सत्य श्रीनिवास ने देश के लिए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के वाणिज्यिक महत्व पर समग्र दृष्टिकोण अपनाने की भी बात कही।
उन्होंने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के ‘भागीदारी सम्मेलन’ में कहा, “व्यापार के क्षेत्र में, नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं…हम उन नए आयामों से कैसे निपटेंगे…ये नए नियम और वर्तमान के नए ‘फोकस’ क्षेत्र भविष्य के प्रति हमारी दिशा तय करेंगे।”
इससे पहले व्यापारिक चर्चाओं में मुख्य मुद्दे सीमा शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं में कमी या उन्हें हटाना होते थे।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अब ‘व्यापार में नए आयाम सामने आ रहे हैं, जो पर्यावरण और सुरक्षा से जुड़े हैं।’
उन्होंने कहा कि पर्यावरण और श्रम जैसे मुद्दे भी नियामक के साथ-साथ आर्थिक अनिश्चितताएं ला रहे हैं।
श्रीनिवास ने कहा कि चूंकि देश ने 2030 तक दो हजार अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात का लक्ष्य रखा है, इसलिए एफटीए इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
उन्होंने कहा, “ हमें एफटीए में वस्तुओं, निवेशों और सेवाओं, सभी पर एक साथ विचार करने की जरूरत है।”
श्रीनिवास ने कहा कि इनके अलावा, भविष्य के संदर्भ में नए तत्व भी महत्वपूर्ण हो गए हैं।
भारत ने अब तक सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और जापान सहित कई देशों के साथ एक दर्जन से अधिक व्यापार समझौते लागू किए हैं और अब वह यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, ओमान और पेरू के साथ व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ऑस्ट्रेलिया और ईएफटीए (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) ब्लॉक के साथ एफटीए में नए तत्व शामिल हैं।
यूरोपीय संघ के कार्बन कर और वनों की कटाई जैसे नए नियम भी व्यापार को प्रभावित कर रहे हैं।
भाषा अनुराग रमण
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