नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में गुरुग्राम स्थित रियल एस्टेट कंपनी रामप्रस्थ समूह और कुछ अन्य के खिलाफ अभियान चलाकर ‘अपराध सिद्ध करने वाले’ साक्ष्य और बही-खाता बरामद किया है।
जांच एजेंसी ने बुधवार को धन शोधन रोधक अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की।
एजेंसी ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि समूह की विभिन्न परियोजनाओं में 500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने वाले 1,000 से अधिक ग्राहकों को चार-पांच साल पहले पूरा या अधिकांश भुगतान करने के बाद भी कब्जा नहीं दिया गया।
फिलहाल कंपनी से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बयान में कहा कि धन शोधन का मामला हरियाणा पुलिस और दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा रामप्रस्थ प्रमोटर्स एंड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इसके निदेशकों और प्रवर्तकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के तहत आया है।
इन शिकायतों में आरोप लगाया गया था कि आरोपी व्यक्तियों और इकाइयों ने 2006-2016 के वित्त वर्षों के दौरान गुरुग्राम में स्थित अपनी परियोजनाओं में आवासीय इकाइयां खरीदने के लिए संभावित घर खरीदारों को प्रेरित किया।
ईडी के अनुसार, घर खरीदारों को कई वर्षों के बाद भी ‘कब्ज़ा नहीं दिया गया’ और परियोजनाएं अभी तक पूरी नहीं हुई थीं।
आरोप है कि रामप्रस्थ राइज, सिटी, स्काइज और अन्य परियोजनाओं के पूरा होने की नियत तिथि बीत जाने के बाद भी धन का ‘हस्तांतरण’ किया गया और परियोजनाएं ‘पूरी नहीं’ की गईं।
ईडी ने कहा कि रामप्रस्थ समूह के मालिक, नियंत्रक और प्रवर्तक- बलवंत सिंह, संदीप यादव और अन्य जांच अभियान में ‘शामिल नहीं हुए’।
भाषा अनुराग अजय
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