अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी आंकड़े जारी करने में लगने वाले समय में कमी लाने का किया अनुरोध |

अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी आंकड़े जारी करने में लगने वाले समय में कमी लाने का किया अनुरोध

अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी आंकड़े जारी करने में लगने वाले समय में कमी लाने का किया अनुरोध

:   Modified Date:  September 25, 2024 / 12:16 PM IST, Published Date : September 25, 2024/12:16 pm IST

नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) अर्थशास्त्रियों ने सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जैसे वृहद आर्थिक आंकड़ों को जारी करने में लगने वाले समय को कम करने का सुझाव दिया है, क्योंकि यह निवेश, कारोबार तथा नीतिगत निर्णयों के लिए महत्वपूर्ण कारक है।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधिकारियों ने 24 सितंबर को मुंबई में जीडीपी तथा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के पूर्वानुमानकर्ताओं और अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक की। इसमें प्रमुख समष्टि आर्थिक आंकड़ों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए उनके सुझाव मांगे।

ईएसी-पीएम के सदस्य और कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने सुझाव दिया कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को आंकड़ों की सटीकता सुनिश्चित करने तथा आंकड़ों को जारी करने में लगने वाले समय में कमी लाने के लिए सुधार के रास्ते तलाशने चाहिए।

इसी तरह की ही राय व्यक्त करते हुए आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने बेहतर स्पष्टता, निवेश, कारोबार और नीतिगत निर्णयों के लिए समय पर और सुसंगत आंकड़े उपलब्ध कराने का सुझाव दिया।

उन्होंने बेहतर आंकड़ा प्रबंधन के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल पर जोर दिया।

मंत्रालय के बयान में कहा गया, ‘‘ जीडीपी आंकड़े जारी करने में होने वाले विलंब को कम किया जा सकता है। इन सूचकांकों के जारी होने के समय में बदलाव किया जा सकता है, ताकि उपयोगकर्ताओं को उसी दिन विश्लेषण के लिए पर्याप्त समय मिल सके।’’

इस खुली चर्चा में पूर्वानुमानकर्ताओं और अर्थशास्त्रियों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। चर्चा के आधार पर कई सुझाव सामने आए।

यह सुझाव दिया गया कि मुख्य मुद्रास्फीति की एक समान समझ के लिए सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय मुख्य मुद्रास्फीति के संकलन पर विचार कर सकता है।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और अन्य वृहद आर्थिक संकेतकों के आधार संशोधन को सुनिश्चित करने के लिए लगातार घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण किए जा सकते हैं।

उपयोगकर्ताओं द्वारा ‘चेन-लिंकिंग’ के लिए पुराने सूचकांकों की उपलब्धता का भी अनुरोध किया गया। उन्होंने सुझाव दिया कि जीडीपी के अनुमान में विसंगति को कम करने के लिए दो तरीकों से प्रयास किए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) की संशोधित श्रृंखला में सेवाओं के बेहतर ‘कवरेज’ की संभावना तलाशी जा सकती है।

मंत्रालय के अनुसार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा आवास सूचकांक के आंकड़ों के संग्रह की पद्धतियों को समझने के लिए इस तरह की बातचीत लगातार करने का अनुरोध भी किया गया।

भाषा निहारिका

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