(मनोज राममोहन)
नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) पिछली छह तिमाहियों में यात्री यातायात बढ़ने और सीमित क्षमता के कारण प्रमुख मार्गों पर घरेलू हवाई किराये में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बावजूद भारत में घरेलू हवाई टिकट की कीमतें दुनिया में सबसे कम हैं।
भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते नागर विमानन बाजारों में से एक है और रोजाना औसतन 4.5 लाख यात्री घरेलू उड़ानों से यात्रा करते हैं। जहां देश की आबादी का केवल एक छोटा प्रतिशत हवाई यात्रा करता है वहीं क्षमता की कमी एक प्रमुख चुनौती है क्योंकि कई विमान मुख्य रूप से आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों के कारण खड़े हैं।
विमानन परामर्श कंपनी सीएपीए इंडिया ने कहा कि शीर्ष 20 घरेलू मार्गों पर औसत किराये में पिछले दो दशक से उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है लेकिन पिछली छह तिमाहियों तक उनमें लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
इन मार्गों में मुंबई-दिल्ली, बेंगलुरु-दिल्ली, बेंगलुरु-मुंबई और दिल्ली-हैदराबाद शामिल हैं।
सीएपीए इंडिया ने इसी सप्ताह एक वेबिनार के दौरान कहा कि यह प्रवृत्ति आपूर्ति श्रृंखला और अन्य मुद्दों के कारण औसतन 150 विमान ठप खड़े होने के कारण है। बयान के अनुसार, संरचनात्मक रूप से उच्च मूल्य निर्धारण वित्त वर्ष 2025-26 तक जारी रहना चाहिए।
इंटरग्लोब टेक्नोलॉजी कोशंट लिमिटेड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संजय कुमार ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘पिछले तीन साल में, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद किराये में वृद्धि हुई है। फिर भी, औसत किराया दुनिया में सबसे कम है।”
उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए दिल्ली और मुंबई के बीच औसत हवाई किराया लगभग 5,000 से 6,000 रुपये होगा। यह प्रतिशत के संदर्भ में एक बड़ी वृद्धि की तरह लग सकता है, लेकिन समग्र मुद्रास्फीति दबाव को ध्यान में रखते हुए वृद्धि की मात्रा महत्वपूर्ण नहीं है।’’
सीएपीए इंडिया ने कहा कि मुद्रास्फीति के साथ समायोजित वित्त वर्ष 2003-04 में 4,989 रुपये का औसत किराया वित्त वर्ष 2019-20 में लगभग 11,000 रुपये हो गया।
भाषा अनुराग अजय
अजय
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)