नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) अमेरिका के पूर्वी तट और खाड़ी तट के गोदी कर्मियों की हड़ताल से अमेरिका को भारत से होने वाला निर्यात प्रभावित होने की आशंका है। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
निर्यातकों ने चिंता जताते हुए कहा कि बहुत सारा माल पूर्वी तट पर जाता है और वहां से कारोबारी अमेरिका के पश्चिमी तट पर माल ले जाते हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की एक्जिम पर राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन संजय बुधिया ने कहा, ‘‘हड़ताल के कारण भारतीय निर्यातकों में चिंता बढ़ रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच यह भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार और सबसे बड़े निर्यात गंतव्य अमेरिका के लिए भारतीय निर्यातकों की चिंता बढ़ा रहा है।’’
उन्होंने कहा कि संकट के कारण निर्यात में देरी होगी, जिससे समयसीमा चूक सकती है, अनुबंध बिलंब का दंड लग सकता है और अमेरिकी खरीदारों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।
पैटन इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) बुधिया ने कहा कि इसके अलावा पूर्वी और खाड़ी तटों पर बंदरगाहों में व्यवधानों के कारण निर्यातकों को खेप को अमेरिकी पश्चिमी तट या कनाडाई बंदरगाहों पर भेजना पड़ सकता है, जिससे परिवहन लागत बढ़ जाएगी और डिलिवरी का समय बढ़ जाएगा।
उन्होंने कहा कि मार्ग बदलने से वैकल्पिक बंदरगाहों पर भी भीड़भाड़ हो सकती है, जिससे देरी और बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा पश्चिमी तट के बंदरगाह पहले से ही बहुत भीड़भाड़ वाले हैं और अधिक माल को संभालना संभव नहीं हो सकता है। निर्यातकों की परेशानियों को बढ़ाते हुए इंटरनेशनल लॉन्गशोरमेन एसोसिएशन (आईएलए) के प्रतिनिधित्व में आने वाले गोदी कर्मियों ने मंगलवार को हड़ताल की घोषणा की, जिससे पूर्वी तट और मेक्सिको की खाड़ी के साथ 36 प्रमुख अमेरिकी बंदरगाहों पर परिचालन ठप हो गया।’’
ये बंदरगाह अमेरिका में आने और जाने वाले कंटेनर यातायात का लगभग 55 प्रतिशत संभालते हैं, जिसमें मेन से टेक्सास तक के सबसे बड़े 14 बंदरगाह शामिल हैं।
बुधिया ने कहा कि कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं के आयात के लिए इन बंदरगाहों पर निर्भर भारतीय निर्माताओं को भी आवश्यक इनपुट प्राप्त करने में देरी का सामना करना पड़ सकता है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि यह चिंता का विषय है।
सहाय ने कहा, ‘‘अगर हड़ताल लंबे समय तक जारी रही, तो इससे हमारे निर्यात पर असर पड़ेगा।’’
उन्होंने कहा कि परिवहन लागत पहले से ही अधिक है। अमेरिका वर्ष 2023-24 के दौरान 120 अरब डॉलर (निर्यात 77.51 अरब डॉलर और आयात 42.2 अरब डॉलर) मूल्य के व्यापार के साथ भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है। वर्ष 2022-23 में यह 129.4 अरब डॉलर था।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चीन वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-18 तक और वर्ष 2020-21 में भी भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार था।
चीन से पहले, यूएई, देश का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था। वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 में अमेरिका भी सबसे बड़ा भागीदार था।
यह हड़ताल भारत के लिए शुभ संकेत नहीं है, क्योंकि अगस्त में इसका निर्यात 13 महीने में सबसे बड़ी गिरावट के साथ 9.3 प्रतिशत घटकर 34.71 अरब डॉलर रह गया।
शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि हड़ताल को 48 घंटे से भी कम समय हुआ है और इसकी वजह से भारत से खेप को उतारने और प्रसंस्करण में देरी हो रही है, जिससे कपड़ा, दवा और वाहन कलपुर्जा जैसे उत्पाद प्रभावित हो रहे हैं।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अगर हड़ताल जारी रहती है, तो खेप को अमेरिकी पश्चिमी तट या कनाडाई बंदरगाहों पर भेजना होगा, जिससे लागत बढ़ेगी और पारगमन समय लंबा होगा, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ सकती हैं।’’
भारतीय निर्यातक पहले से ही लाल सागर मार्ग में व्यवधानों के कारण उच्च माल ढुलाई लागत और देरी का सामना कर रहे हैं।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
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