मनरेगा के तहत रोजगार मांगने का ग्रामीण संकट से सीधा संबंध नहीं: आर्थिक समीक्षा |

मनरेगा के तहत रोजगार मांगने का ग्रामीण संकट से सीधा संबंध नहीं: आर्थिक समीक्षा

मनरेगा के तहत रोजगार मांगने का ग्रामीण संकट से सीधा संबंध नहीं: आर्थिक समीक्षा

:   Modified Date:  July 22, 2024 / 10:29 PM IST, Published Date : July 22, 2024/10:29 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) मनरेगा योजना के तहत रोजगार की मांग का ग्रामीण संकट में वृद्धि से सूक्ष्म स्तर पर कोई सीधा संबंध नहीं है। संसद में सोमवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2023-24 में यह आकलन पेश किया गया।

आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, अपेक्षाकृत कम गरीब आबादी वाले केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य इस प्रमुख ग्रामीण रोजगार योजना के तहत अधिक धन का इस्तेमाल करते हैं।

आर्थिक समीक्षा कहती है कि राज्यों के बीच महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के प्रदर्शन में उल्लेखनीय भिन्नता है। इस तरह की असमानता का निश्चित कारण जानने के लिए कई शोध किए गए हैं, लेकिन कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं मिल पाया है।

इसके मुताबिक, जहां कुछ रिपोर्ट से पता चलता है कि मनरेगा के तहत रोजगार की मांग ग्रामीण संकट का संकेत है, वहीं वित्त वर्ष 2023-24 के मनरेगा आंकड़ों से पता चलता है कि तमिलनाडु में देश की गरीब आबादी का एक प्रतिशत से भी कम हिस्सा होने के बावजूद समूचे मनरेगा कोष का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा तमिलनाडु का ही है।

इसी तरह, केरल में गरीब आबादी मात्र 0.1 प्रतिशत है लेकिन उसने मनरेगा कोष का लगभग चार प्रतिशत इस्तेमाल किया। इन राज्यों ने मिलकर 51 करोड़ व्यक्ति-दिवस रोजगार पैदा किए।

इसके विपरीत बिहार और उत्तर प्रदेश में गरीब आबादी का लगभग 45 प्रतिशत (क्रमशः 20 प्रतिशत और 25 प्रतिशत) हिस्सा है, लेकिन इन राज्यों के पास मनरेगा निधि का केवल 17 प्रतिशत (क्रमशः छह प्रतिशत और 11 प्रतिशत) हिस्सा ही आया। इस दौरान इन दोनों राज्यों में 53 करोड़ व्यक्ति-दिवस रोजगार सृजित हुए।

समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, ‘आम धारणा के उलट आंकड़ा इस धारणा का समर्थन नहीं करता है कि वित्त वर्ष 2021-22 में अधिक ग्रामीण बेरोजगारी दर वाले राज्यों ने पिछले वित्त वर्ष में अधिक मनरेगा निधि की मांग की है।’

मनरेगा आंकड़ों से यह भी पता चला है कि न्यूनतम मज़दूरी का निर्धारण अस्थायी है और इसका प्रति व्यक्ति आय या गरीबी अनुपात से कोई संबंध नहीं है।

भाषा अनुराग प्रेम

प्रेम

 

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