नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चला है कि भारतीय रेलवे के समर्पित माल ढुलाई गलियारों से राज्यों के बीच सामाजिक समानता प्रभाव पैदा करने में मदद मिली है।
अध्ययन के मुताबिक भारत के जिन राज्यों में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कम है, उन्हें महत्वपूर्ण लाभ मिल रहा है।
इससे पता चलता है कि रेल ढुलाई गलियारे आर्थिक फासले को कम करने में मदद कर रहे हैं, जिससे देश भर में अधिक न्यायसंगत आर्थिक वृद्धि का रास्ता खुला है।
‘एल्सेवियर जर्नल’ में प्रकाशित इस अध्ययन में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारे (डब्ल्यूडीएफसी) पर ध्यान केंद्रित किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुल मिलाकर इससे कई उद्योगों और उपभोक्ताओं को लाभ मिला है।
अध्ययन रिपोर्ट कहती है, ”माल ढुलाई की लागत में कमी हुई। माल ढुलाई की लागत में सबसे अधिक कमी वाले क्षेत्रों में जीडीपी में सुधार देखा गया है।”
इसके अनुसार समर्पित माल ढुलाई गलियारे का परिचालन होने से माल ढुलाई लागत और यात्रा समय में कमी से वस्तुओं की कीमतों में आधा प्रतिशत तक की कमी आई है।
अध्ययन में पाया गया है कि समर्पित माल ढुलाई गलियारे ने वित्त वर्ष 2018-19 और 2022-23 के बीच भारतीय रेलवे की राजस्व वृद्धि में 2.94 प्रतिशत का योगदान दिया।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) ने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में भी परिवहन लागत में कमी से आर्थिक लाभ हुआ।
अध्ययन में इस्तेमाल किए गए मॉडल के बारे में डीएफसीसीआईएल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एक गणना योग्य सामान्य संतुलन मॉडल का उपयोग किया।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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