(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, चार जनवरी (भाषा) केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि सरकार द्वारा जारी डेटा संरक्षण नियम नागरिक अधिकारों की रक्षा करते हुए विनियमन और नवाचार के बीच संतुलन बनाते हैं।
सरकार ने शुक्रवार को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम के लिए मसौदा नियम 18 फरवरी तक सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किए।
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री वैष्णव ने पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, “नियमों को अधिनियम की चारदीवारी के भीतर रहना चाहिए। यह संसद द्वारा पारित अधिनियम के दायरे में है। ये नियम नागरिकों के अधिकारों की पूरी तरह से रक्षा करते हुए विनियमन और नवाचार के बीच संतुलन सुनिश्चित करने के लिए तैयार किए गए हैं।”
मंत्री ने कहा कि पहले दुनिया के लिए केवल एक ही उदाहरण- उच्च स्तर के विनियमन के साथ यूरोपीय डेटा सुरक्षा नियम उपलब्ध था। हालांकि, भारतीय नियमों ने देश में स्टार्टअप के बीच विकसित हो रहे नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में उछाल की रक्षा के लिए विनियमन और नवाचार के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि उद्योग के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया है और शिकायत पंजीकरण, उनका निपटान और वितरण, डिजिटल मंच के साथ बातचीत जैसी प्रणालियां लागू की गई हैं।
मंत्री ने कहा कि अंतिम नियम मंजूरी के लिए मानसून सत्र में संसद के समक्ष रखे जाएंगे और डिजिटल रूप से डेटा संभालने वाली सभी संस्थाओं को कानून के अनुसार अपने तंत्र को जांचने के लिए दो साल का समय मिलेगा।
वैष्णव ने कहा, “अधिनियम के अंतर्गत आने वाली सभी संस्थाओं को नियम लागू होने के दो वर्ष के भीतर मौजूदा सहमति की समीक्षा करनी होगी।”
उन्होंने कहा कि नई डेटा व्यवस्था के अनुभव के आधार पर नियमों में सुधार किया जाएगा।
भाषा अनुराग पाण्डेय
पाण्डेय
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